लोकसभा चुनावों में भाजपा की मजबूती को देखते हुए कांग्रेस एक के बाद एक मजबूत दांव चल रही है, जिसके चलते भाजपा नेताओं का पसीना छूटना शुरू हो गया है।
भाजपा काट सकती है पचास फीसदी तक टिकट…
जानकारों की मानें तो प्रियंका को कांग्रेस महासचिव नियुक्त किए जाने के बाद भाजपा के माथे पर दिख रही चिंता की लकीरें असल में उस टिकट वितरण फार्मूले की विफलता की आशंका के चलते है जिसके तहत भाजपा नेतृत्व पचास फीसदी तक टिकट काटकर जीत सुनिश्चित करता है। यह टिकट वितरण फार्मूले मध्यप्रदेश में भी लागू होने की चर्चा है।
कांग्रेस के इस फॉर्मूले ने बढ़ाई चिंता…
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के 2014 के फार्मूले को अपना कर मध्यप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में भाजपा विरोधी माहौल बनाने की कोशिश की जाएगी। जैसे भाजपा ने 2014 में टिकट से वंचित और टिकट नहीं मिलने की कुंठा में अपने पाले में आए कांग्रेस नेताओं को टिकट थमाकर यह माहौल बना दिया कि कांग्रेस डूबता जहाज है, ठीक वैसे ही कांग्रेस इस बार भाजपा के टिकट वितरण फार्मूले को हथियार बनाकर उसके खिलाफ माहौल बनाने की फिराक में है।
वहीं इसके अलावा अपने क्षेत्र में मजबूत भाजपा नेता चाहे वे पूर्व विधायक या वर्तमान विधायक ही क्यों न हो, लेकिन पार्टी से नाराज चल रहे हैं, उन्हें भी कांग्रेस भाजपा के विरोध में उतारने की तैयारियों में है। माना जा रहा है मध्यप्रदेश में इसी नीति को लेकर दिग्विजय ने बाबूलाल गौर से मुलाकत की थी।
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इनके कट सकते हैं टिकट…
सूत्रों के अनुसार भाजपा इस बार मध्यप्रदेश,उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में अपने मौजूदा सांसदों में से 35 से 50 फीसदी का टिकट काटने जा रही है, ताकि उनके खिलाफ उत्पन्न मतदाताओं की नाराजगी पर नए चेहरे के रूप में पानी के छींटे डाले जा सकें। पार्टी ने इसकी पूरी तैयारी भी कर रखी है। वहीं इसके अलावा मध्यप्रदेश में भाजपा कई नेताओं की सीटें भी बदल सकती है।
लेकिन इस बीच प्रियंका की सक्रिय राजनीति में एंट्री हो गई है और अब पार्टी अपने सांसदों के टिकट काटने का जोखिम उस विश्वास के साथ उठाने की अनिच्छुक है, जिस विश्वास के साथ उसने पिछले विधानसभा चुनावों में मौजूदा विधायकों के टिकट काटे थे।
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कई नेता हैं कांग्रेस के संपर्क में…
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार प्रियंका के आने के बाद माहौल में आए परिवर्तन को भाजपा ने भांप लिया है और वह अब सांसदों के टिकट काटने से पहले दस बार सोचेगी। वैसे भी मध्यप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के भाजपा के नेता व सांसद जिनके टिकट काटे जाने की तैयारी है, वे किसी न किसी माध्यम से कांग्रेस के सम्पर्क में बने हुए हैं। पार्टी जीतने की क्षमता वाले ऐसे नेताओं को टिकट देने को तैयार है, जो 2014 का चुनाव भाजपा के टिकट पर जीत कर आए थे।
भाजपा की चिंता…
लोकसभा के लिए कांग्रेस के इस फॉर्मूले को लेकर भाजपा खासी चिंतित है। राजनीति के जानकार डीके शर्मा के अनुसार यदि कांग्रेस अपने इस फॉर्मूले को अंजाम तक ले जाती है तो ये भाजपा के लिए खास नुकसान वाला साबित होगा।
एक ओर जहां क्षेत्र का लोकल कद्दावर नेता जो पूर्व में भाजपा से विधायक या सांसद रह चुका हो वहीं यदि भाजपा के विरुद्ध चुनाव मैदान में ताल ठोकेगा, तो इसका सीधा नुकसान वोटों कटने के रुप में भाजपा को होगा। जबकि इसका फायदा कांग्रेस को अपने पारंपरिक वोट प्राप्त करते हुए जीत हासिल करने में होगा।
वहीं यदि भाजपा के ही नेता भाजपा के विरोध में अपना मुंह खोलेंगे तो कई वे बातें भी सामने आने की आशंका रहेगी, जो अब तक छिपी हुई है, यहां भी सीधे तौर पर भाजपा को नुकसान व कांग्रेस को फायदा ही होगा।
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वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के 29 पराजित प्रत्याशियों ने जबलपुर हाईकोर्ट में चुनाव याचिकाएं पेश की हैं। इनमें विधायकों का निर्वाचन निरस्त कर नए सिरे से चुनाव कराने का आग्रह किया गया है। इन याचिकाओं को हाईकोर्ट ने पंजीकृत कर लिया है। 25 जनवरी को चुनाव याचिकाएं दायर करने की आखिरी तारीख थी।
किसने कहां के लिए लगाई याचिका…
सुभाष कुमार सोजतिया कांग्रेस गरोठ मंदसौर
मिथलेश जैन, कांग्रेस कटनी
चन्दा सिंह गौर, कांग्रेस खरगापुर टीकमगढ़
सत्यनारायण पटेल, कांग्रेस इंदौर
विष्णुकांत शर्मा, निर्दलीय ग्वालियर
शमशुल हसन भोपाल
रामकिशन पटेल, भाजपा उदयपुरा, रायसेन
लड्डराम कोरी, भाजपा अशोकनगर
देवेंद्र डांडगे हुजूर भोपाल
यादवेंद्र सिंह, कांग्रेस नागौद, सतना
आत्माराम पटेल भाजपा कसरावद, खरगौन
यादवेंद्र सिंह, कांग्रेस टीकमगढ़
शशि कठोरिया, कांग्रेस बीना, सागर
राधेश्याम दर्सिमा हरसूद, खंडवा
नरेंद्र सिंह मरावी, भाजपा पुष्पराजगढ़, अनूपपुर
नरेश ज्ञानचंदानी, कांग्रेस हुजूर, भोपाल
सीमा सिंह, बसपा मनगवां, रीवा
मुनीजुद्दीन भोपाल
मंजू राजेंद्र दादू, भाजपा नेपानगर, बुरहानपुर
रसल सिंह, भाजपा लहार भिंड
जितेंद्र कुमार अवस्थी, कांग्रेस बरगी, जबलपुर
सुरेश पचौरी, कांग्रेस भोपाल
मशर्रत शाहिद, कांग्रेस सिरोंज, विदिशा
अभय मिश्रा, कांग्रेस रीवा
राहुल सिलावट, निर्दलीय सांवेर, इंदौर
राजेश सोनकर, भाजपा सांवेर, इंदौर
संतोष करोसिया, निर्दलीय आमला, बैतूल
दिनेश जैन, निर्दलीय महिदपुर, उज्जैन
कुंदन मालवीय, कांग्रेस खंडवा