मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दिवाली के महापर्व के मद्देनजर कर्मचारियों, अधिकारियों के साथ ही अनियमित कर्मचारियों को भी वेतन तय तिथि के 4 दिन पहले ही देने को कहा था पर ऐसा हुआ नहीं। प्रदेश के लाखों अस्थाई और आउटसोर्स कर्मचारियों को अब तक वेतन नहीं मिला है।
यह भी पढ़ें : 12 नवंबर की भी छुट्टी घोषित, स्कूल और ऑफिस बंद रहेंगे पर बैंकों में होगा कामकाज वेतन के लिए ग्वालियर और रीवा सहित कई शहरों में ऐसे कर्मचारियों ने हड़ताल की। कई जिलों में अस्थाई और आउटसोर्स कर्मचारियों ने कलेक्टरों से मुलाकात कर दिवाली से पहले वेतन देने के विभागीय प्रमुख सचिवों के आदेशों का भी हवाला दिया लेकिन कुछ नहीं हुआ। और तो और, वेतन मांग रहे आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से हटाने की धमकी दी। रीवा मेडिकल कॉलेज के कर्मचारियों को तो हटा भी दिया गया।
ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल नहीं करने के लिए कंपनी मैनेजमेंट और अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगाया। शर्मा ने बताया कि वेतन मांगने पर रीवा मेडिकल कॉलेज शिवेंग्र पांडे, विपिन पांडे समेत पांच कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया गया। बैतूल जिला अस्पताल की कर्मचारी अनिता पाल को वेतन मांगने पर गालियां बकी गईं।
आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी मोर्चा के अनुसार प्रदेश के लाखों आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारियों ने कर्ज लेकर पर्व मनाया। सीएम की घोषणा का शिक्षा विभाग में अमल नहीं हुआ। स्कूलों में पढ़ाने वाले आउटसोर्स व्यवसायिक प्रशिक्षकों, अतिथि शिक्षकों को भी वेतन नहीं दिया गया। जिला अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों, आयुष विभाग के योग प्रशिक्षकों, वार्ड वाय, सुरक्षा गार्डों, सफाईकर्मी आदि को 4-5 माह से वेतन नहीं दिया गया है।