बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार पर कर्ज के संकट के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे हैं। यही कारण है कि नई सरकार ने पहला कर्ज ले लिया है। हालांकि, इसके अलावा प्रदेश सरकार पर पहले से ही काफी कर्ज है।
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मोहन सरकार का पहला कर्ज
मोहन यादव की नई सरकार ने पहली बार कर्ज लिया है। इसे लेकर वित्त विभाग ने अधिसूचना भी जारी की थी। वित्त विभाग ने कर्ज के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को विलिंगनेस लेटर लिखा था।
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सरकार पर है इतना कर्ज
बता दें कि, पूर्व की शिवराज सरकार ने 2023 के 7 महीनों के दौरान ही कुल 25 हजार करोड़ रुपए कर्ज लिए थे। इस तरह राज्य सरकार पर मार्च 2023 की स्थिति में ही साढ़े तीन लाख करोड़ का कर्ज हो चुका था। जो अब बढ़कर करीब पौने चार लाख करोड़ के ऊपर निकल चुका है। वहीं मौजूदा कर्ज की बात करें तो प्रदेश की मोहन सरकार ने आर्थिक गतिविधियों और विकास कार्यों का हवाला देकर नया कर्ज लिया है। सरकार को साल 2039 तक कर्ज की राशि चुकानी होगी।
इतना कर्ज छोड़कर गए हैं शिवराज
मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सूबे की नई मोहन सरकार पर साढ़े तीन लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज छोड़कर गए हैं। ऐसे में हालात ये है कि राज्य सरकार को सरकारी कामकाज चलाने तक के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है और अगर आगे भी यही हालात बने रहे तो हर एक काम के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ेगा। प्रदेश के आर्थिक हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछली शिवराज सरकार ने आचार सहिंता के दौरान भी अपने घोषणागत कार्यों को पूरा करने के लिए कर्ज लिया था।