आधुनिक दुनिया में अब पड़ताल के लिए किसी इन्वेस्टिगेशन कंपनी की मदद से बच्चों के स्मार्ट फोन से उनकी जानकारी निकाली जा रही है। बच्चा कहां जा रहा है, किससे मिल रहा है, क्या कंटेंट देख रहा है, क्या आदतें हैं, सबका पता लगाया जा सकता है।
मोबाइल फोन में बच्चों के लोकेशन को ऑन कर वो कहां जा रहे इसका पता लगाया जा सकता है। कई एप्लीकेशन ऐसे मौजूद हैं जिसकी मदद में फोन में बच्चा क्या कर रहा है और किस प्रकार के कंटेंट का सेवन कर रहा इसका पता लगाना आसान है।
केस 1
साकेत नगर निवासी पिता ने अपने 10वीं में पढ़ रहे बच्चे जो की स्कूल से आते ही फोन में लग जाता था। न बाहर जाना न ही घर में किसी से बात करता था। साथ ही चुप चुप कर पैसे कहीं ट्रांसफर करता था। फोन से पता लगाने पर पता चला की सोशल मीडिया पर महिला मित्र ने उससे 10 हजार तक पैसे ठग लिए थे। जिसके बाद इसपर केस दर्ज करवाया गया।
केस 2
हिमांशु की माता मन्नू तिवारी ग्रेजुएशन में पढ़ रहे बेटे के संगति से परेशान हो कर उसके पीछे निजी जासूस लगाया। जिसकी मदद से पता लगा की गलत संगति में बेटे को नशे की आदत लग गई है। जिसके बाद उसकी काउंसलिंग की जा रही है।
सबसे ज्यादा इसका पता लगा रहे अभिभावक
अभिभावकों द्वारा बढ़ती उम्र के बच्चों में सबसे अधिक बच्चे के फ्रेंड सर्कल, नशे, इवॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड इत्यादि मामलों का पता लगाया जाता है। जिसके लिए कई अभिभावक निजी इन्वेस्टिगेशन कंपनी का सहारा भी लेते हैं।