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पांच पहाडिय़ों का शहर
चारों और से पहाड़ों पर बसे इस खूबसूरत शहर को भौगोलिक दृष्टीकोण से भी काफी सुरक्षित शहर माना जाता है। यहां का मौसम न ज्यादा गर्म रहता है और न ज्यादा सर्द सावन के महीनों में यहां के सुंदर नजारे देखने लायक होते हैं। भोपाल शहर चारों ओर से पांच पहाड़ियों पर बसा है, जिनमें ईदगाह हिल्स, अरेरा हिल्स, श्यामला हिल्स, कटारा हिल्स, द्रोणाचल नेवरी हिल्स शामिल हैं।
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झीलों की नगरी से मिली दुनिाभर में पहचान
मुख्यरूप से भोपाल को झीलों की नगरी के तौर पर दुनियाभर में पहचान मिली है। इसका कारण यहां निर्मित छोटी-बड़ी कई झीलें हैं। पर मुख्यत: राजा भोज द्वारा आज से करीब पंद्रह सौ साल पूर्व बनवाई गई बड़ी झील या बड़ा तालाब शहर का सबसे खूबसूरत और मशहूर स्पॉट है। तो छोटी झील या छोटा तालाब दूसरी फेमस झील है। इनके अलावा एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद यानी ताज-उल-मसाजिद के नजदीक एक के नीचे एक बने मोतिया तालाब, बाग मुंशी हुसैन खां तालाब और लेडिया तालाब बारिशों के सीजन में शहर के बीचों बीच एक अद्भुत झरने में परिवर्तित हो जाते हैं, इसके अलावा शाहपुरा लेक भी अपनी सुंदरता से लोगों का हुजूम अपने पास बनाए रखता है। बताया जाता है कि, नवाबी दौर में यहां डेम और तालाबों की संख्या लगभग 27 थी, जो अबतक शहर में बढ़ते अतिक्रमण के चलते घटकर करीब आठ ही रह गई है। फिलहाल, ये भी इस शहर की सुंदरता में चार चांद लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
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नंबर से होती है यहां कई इलाकों की पहचान
भोपाल विश्व का एकमात्र ऐसा शहर है, जिसके कई इलाकों की पहचान नंबरों से होती है। यहां जगहों के नाम का आधार सिर्फ उनका नंबर है। वे उन्हीं नंबर से ही इनकी पहचान होती है। यहां एक नंबर दो नंबर से लेकर 10 नंबर, साढ़े 10 नंबर, 11 नंबर, साढ़े 11 और 12 नंबर आदि जैसे नाम वाले इलाके भी मौजूद हैं।
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ये भी हैं खासियत
-एशिया की सबसे छोटी और सबसे बड़ी मस्जिद है यहां
भोपाल की पहचान इसमें भी है कि, यहां एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद यानी ताज-उल-मसाजिद है। इस मस्जिद की तामीर (Construction) शहर की आठवीं नवाब शाहजहां बेगम ने करवाया था, हालांकि, उनके कार्यकाल में ये मस्जिद पूरी तौर पर नहीं बन सकी थी, लेकिन इसके निर्माण में लगने वाले सभी पत्थर तराशे जा चुके थे, साथ ही इसका पूरा नख्शा भी बना हुआ था, जिसके आधार पर इसका पुननिर्माण किया जा सका। इसका पूर्ण निर्माण 1971 में मस्जिद के जिम्मेदार और शहर की नामी शख्सियत मोलाना इमरान खां साहब की निगरानी में किया गया था। मस्जिद की खूबसूरती देखने यहां देश-दुनिया से सैलानी आते हैं।
भोपाल ही एक ऐसा शहर है जहां एशिया की सबसे छोटी मस्जिद भी है। इस मस्जिद को ढाई सीढ़ी की मस्जिद से पहाचाना जाता है। ‘गाँधी मेडिकल कॉलेज’ के समीप फतेहगढ़ क़िले के बुर्ज के ऊपरी हिस्से पर बनी एक छोटी सी मस्जिद बुर्ज की निगरानी करने वाले सैनिकों के लिए बनवाई गई थी। मस्जिद का निर्माण दोस्त मोहम्मद ख़ान द्वारा करवाया गया था। मस्जिद इतनी छोटी है कि, यहां एक बार में इमाम के अलावा सिर्फ तीन लोग ही नमाज अदा कर सकते हैं। सादे और साधारण स्थापत्य में निर्मित इस मस्जिद में इबादत स्थल तक जाने के लिये केवल ढाई सीढ़ियां बनाई गई थीं। इसलिये इसे ‘ढाई सीढ़ी की मस्जिद’ कहा जाता है। ये भी माना जाता है कि, ये भोपाल की सबसे पहली मस्जिद भी है। इस मस्जिद की सादगी और इसके छोटे से कैंपस को देखने भी देश-दुनिया से सैलानी यहां आते हैं।
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इन स्थलों की है अलग खासियत
-इसके अलावा यहां जामा मस्जिद लक्ष्मीनारायण मंदिर, बिड़ला संग्रहालय, शौकत महल और सदर मंजिल, भारत-भवन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, राजकीय संग्रहालय, गांधी भवन, वन विहार, चौक, बड़ी और छोटी झील, मछली घर आदि पर्यटन स्थल हैं।
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शहर के आसपास बसी है प्रकृति
यही नहीं भोपाल से 10-20 किलोमीटर की दूरी पर प्राकृतिक नजारों से सम्पन्न ऐसे स्थल भी हैं, जहां जाकर आप खुद को प्रकृति के बेहद करीब महसूस करते हैं। प्राकृतिक खूबसूरती के साथ ही यहां की शांति आपको सुकून से भर देती है। धार्मिक स्थलों के साथ ही यहां के प्राकृतिक शांत नजारे आपको अध्यात्म की ओर भी आकर्षित करते हैं। हैं न रीफ्रेशमेंट प्वॉइंट्स।
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ये हैं फेमस फूड
अगर आप भोपाल की नवाबी संस्कृति का भरपूर मजा लेना चाहते हैं तो नवाबी पकवानों का मजा भी मिलेगा। लेकिन यहां आपको नवाबी ही नहीं, राजस्थानी, गुजराती, साउथ इंडियन, चाइनीज फूड भी आसानी से मिल जाता है। लेकिन हां, यहां की फैमस सुलेमानी चाय पूरे विश्व में अपने स्वाद से पहचानी जाती है। यही कारण है कि, भोपालियों को चाय का सबसे बड़ा शौकीन माना जाता है। ये तो तय है कि, अगर आप इस नमक वाली चाय को एक बार पी लेंगे तो ये आपको जीवनभर याद रहेगी।
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कैसे पहुंचे
वैसे तो प्रदेश की राजधानी भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जहां से आप सीध कई देशों की यात्रा कर सकते हैं। यानी देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई देशों से यहां सीधी आवाजाही है। इसके अलावा देश के किसी भी शहर से यहां आसानी से आवाजाही की जा सकती है। राजधानी दिल्ली, ग्वालियर, इंदौर और मुंबई से भोपाल के लिए नियमित विमान सेवा रहती है। इसके अलावा शहर में तीन रेलवे स्टेशन हैं, जिनमें से एक भोपाल स्टेशन जंक्शन भी है। इसके अलावा हबीबगंज स्टेशन और बैरागढ़ स्टेशन से भी शहर में आया जा सकता है। साथ ही, मध्य प्रदेश के बीचों बीच बसे होने के कारण यहां देश के किसी भी कोने से सड़क मार्ग द्वारा आया जा सकता है।
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यहां ठहरें
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