प्रदूषण मण्डल में अध्यक्ष का पद सबसे ताकतवर माना जाता है। आमतौर पर इस पद के लिए सरकार सीधे ही व्यक्ति का चयन करती रही है। ऐसे में इस चयन पर समय-समय पर सवाल भी उठाए गए। वर्ष 2005 में सुप्रीमकोर्ट ने निर्देश दिए थे कि पर्यावरण विशेषज्ञ, वैज्ञानिक या फिर इस क्षेत्र में डिग्रीधारी को अध्यक्ष बनाया जाए। आखिरकार 14 साल बाद नियम तय किए गए। नियमों के तहत इस पद के लिए वही व्यक्ति योग्य होगा जिसने किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पर्यावरण से संबंधित डिग्री, विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि या फिर पर्यावरण विषय सहित बीई किया हो। पर्यावरण संरक्षण संबंधी अनुभव भी जरूरी है।
सरकारी अधिकारी यदि इस पद की योग्यता रखता है तो वह प्रतिनियुक्ति पर भी यहां पदस्थ हो सकता है, लेकिन उसे चयन प्रक्रिया से ही गुजरना होगा। प्रतिनियुक्ति की अवधि तीन साल से अधिक नहीं होगी। 62 वर्ष की आयु सीमा का व्यक्ति इस पद के लिए आवेदन नहीं कर सकता। अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल होगा। यदि तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के पहले उसकी आयु 65 वर्ष हो जाती है तो उसे पद छोडऩा होगा।
ऐसी होगी चयन प्रक्रिया – अध्यक्ष पद के लिए राज्य सरकार का पर्यावरण विभाग विज्ञापन प्रकाशित कर आवेदन आमंत्रित करेगा। प्राप्त आवेदन पत्रों की छंटनी के लिए एक उप समिति होगी। यह उप समिति आवेदकों की सूची तैयार करेगी। यह सूची साक्षात्कार के लिए अधिकतम 10 आवेदकों का चयन करेगी। परीक्षण सह चयन समिति के मापदण्ड निर्धारित किए जाएंगे। यह समिति साक्षात्कार के बाद अधिकतम तीन नामों का पैनल देगी। इसी पैनल में से राÓय सरकार अध्यक्ष का नाम तय करेगी।
1.82 से 2.24 लाख प्रतिमाह होगा वेतन – अध्यक्ष को राज्य सरकार के प्रमुख सचिव के बराबर सुविधाएं, यात्रा-भत्ता इत्यादि मिलेगा। साथ ही उसे 182200-224400 रुपए प्रतिमाह वेतन मिलेगा। इसमें तीन प्रतिशत की दर से वार्षिक वेतन वृद्धि भी होगी।
दागी हुए तो छिनेगी कुर्सी – यदि काई व्यक्ति कर्ज लेने के बाद बैंक का डिफाल्टर घोषित हो जाता है या फिर कोर्ट उसे किसी मामले में दोषी घोषित करती है तो वह अध्यक्ष पद के लिए अयोग्य हो जाएगा। वह यह जानकारी छिपाते हुए अध्यक्ष बन जाता है तो भी उसे पद से हटा दिया जाएगा। यदि किसी व्यक्ति की पत्नी या पति जीवित हो और वह उससे शादी करता है तो भी वह अध्यक्ष पद से हटा दिया जाएगा। एक बार पद से हटाए गए व्यक्ति को दोबारा अध्यक्ष नहीं बनाया जा सकेगा।