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11 लोगों के मौत की पुष्टि
13 सितंबर की तड़के सुबह करीब 4.30 बजे भोपाल के छोटे तालाब स्थित खटलापुरा मंदिर घाट पर तालाब में नाव डूबने से 11 लोगों के मौत की पुष्टि हुई। सभी पिपलानी क्षेत्र के पुराने 1100 क्वार्टर के थे। सूचना मिलते ही मौके पर गोताखोर ने 6 लोगों की जान बचाई। हमीदिया अस्पताल में पोस्टमार्टम हुआ। परिजन को हादसे की सूचना मिलते ही हमीदिया अस्पताल पहुंचे।
नाव हादसा : मृतकों के नाम और पते
1- परवेज़ पिता सईद खान उम्र 15 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी।
2- रोहित मौर्य पिता नंदू मौर्य उम्र 30 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी।
3- करण पिता…… उम्र 16 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी।
4- हर्ष पिता ….. उम्र 20 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी।
5-सन्नी ठाकरे पिता नारायण ठाकरे उम्र 22 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी।
6- राहुल वर्मा पिता मुन्ना वर्मा उम्र 30 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी।
7- विक्की पिता रामनाथ उम्र 28 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी।
8-विशाल पिता राजू उम्र 22 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी।
9-अर्जुन शर्मा पिता……उम्र 18 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी।
10-राहुल मिश्रा पिता ……उम्र 20 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी।
11- करण पिता पन्नालाल उम्र 26 साल निवासी 1100 क्वाटर पिपलानी।
एक साथ जलीं 8 आर्थियां
खटलापुरा घाट में मरने वाले सभी शव को पहले 1100 क्वार्टर ले जाया गया उसके बाद वहां से श्मसान घाट के लिए जैसे ही आर्थियां उठीं वैसे ही मृतक के परिवार वाले शव से लिपट लिपटकर रोनें लगे। एक मृतक की मां का कहना है कि जब नाबालिग बच्चे बाइक आदि बिना हेलमेट के चलाते है तो पुलिस उनको रोकती है और चालान बनाती है और कभी कभी तो थप्पड़ भी मार देती। ऐसे में जब बच्चे नाव पर सवार हो रहें थे तो बच्चों से क्यों नहीं पूछा गया कि आप को तैराना आता है या नहीं। अगर पुलिस पूछताछ करती और थप्पड़ लगाती तो शायद आज मेरा बेटा जिंदा होता।
1. खटलापुरा घाट में बड़ी मूर्तियों का विसर्जन पर रोक है।
2. नगर निगम और प्रशासन के साथ गार्ड, नाविक ड्यूटी पर सख्त क्यों नहीं थे।
3. दो नाव जोड़कर मूर्ति विसर्जन करना, हादसे को बुलावा देना था।
4. एक नाव में क्षमता से अधिक 19 लोग सवार थे।
5. लाईफ जैकेट नहीं पहने थे इससे हुई 12 लोगों की मौत।
प्रशासन सख्त होता तो न होती मौत
हादसे से पहले उन्हे रोकने वाला नगर निगम और प्रशासन का कोई भी स्टॉफ मौजूद नहीं था। हादसे के बाद सूचना मिलते ही हरकत में आये अफसरों ने कहा कि इस लापरवाही को लेकर ड्यूटी चार्ट में जितनों की ड्यूटी थी उन सब पर कार्यवाही होगी। वहीं लोगों का कहना है कि ड्यूटी में रोकना, टोकना होता तो शायद हादसा रूक सकता था।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मृतकों के परिजनों को 11-11 लाख रूपए की सहायता दिए जाने के आदेश। नगर निगम ने 2-2 लाख रुपये सहायता राशि देने की घोषण की है। मृतकों के परिजनों का हाल इतना बुरा था कि जो भी उनकों ढाढ़स बधाने पहुंच रहा था वो खुद अपने आप को नहीं रोक पा रहे थे। इस घटना को सुनकर हर कोई हैरान था। वहीं मृतकों के परिवार वालों का कहना है कि सब कुछ एक पल में खत्म हो जाएगा कभी सोचा नहीं था।