सरकारी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस के कारण सरकारी अस्पताल में समय कम देते हैं। यही कारण है कि आमजन को सही इलाज के लिए कई बार समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रदेश में हाल में खुले सरकारी मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी भरने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन सभी समस्याओं के निपटान स्वरुप मोहन सरकार नया प्रस्ताव बनाने पर विचार कर रही है। सरकारी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस न करें इसके लिए उनको 20%अतिरिक्त प्रोत्साहन भत्ता देने पर विचार किया जा रहा है।
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इस साल की शुरुआत से ही सिवनी, नीमच और मंदसौर मेडिकल कालेज में एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पद भरने में काफी परेशानियां आ रही है। फैकल्टी की कमी के चलते एमबीबीएस की 100 सीटों की अनुमति ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से मिल पाई, जबकि चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने 150-150 सीटों के लिए आवेदन किया था।
यहां आ रही समस्या
नए कॉलेजों में पहले वर्ष तो गैर चिकित्सकीय विषय एनॉटमी, फिजियोलाजी और बायोकेमेस्ट्री में ही फैकल्टी की आवश्यकता होती है। लेकिन आगे के वर्षों के लिए चिकित्सकीय विषय जैसे मेडिसिन, सर्जरी आदि विषयों में फैकल्टी नहीं मिल पाते। यह भी पढ़ें- पर्यटकों के लिए खुल गया कूनो नेशनल पार्क, खुले जंगल में आप कर सकेगें चीतों का दीदार दूरस्थ क्षेत्र के डॉक्टरों को अतिरिक्त भत्ता
डॉक्टरों के छोटे जिलों में काम न करने की मंशा के कारण सरकार दूरस्थ क्षेत्र के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों को सरकार पहले से ही अतिरिक्त भत्ता दे रही है।