ससुर की विरासत
गोविंदपुरा सीट से दूसरी बार चुनी गईं कृष्णा गौर अपने ससुर बाबूलाल गौर की विरासत को संभाल रही हैं। वे यहां से आठ बार विधायक रहे। पहली बार गौर 1980 में यहां से जीते थे। तब से लगातार 4५ सालों तक यहां भाजपा ही जीतती रही है। ये 10वीं जीत है।
उत्तर व मध्य का रोचक इतिहास
इसी तरह भोपाल उत्तर और भोपाल मध्य सीट का भी रोचक इतिहास रहा है। आजादी के बाद से 1972 तक के चार चुनावों तक यहां से भोपाल ने मुस्लिम प्रत्याशी ही चुना। 1980 के बाद मध्य और उत्तर विधानसभाएं अस्तित्व में आईं। तब से लेकर अब तक यहां ज्यादातर मुस्लिम प्रत्याशी ही जीतते रहे हैं। मध्य से दोबारा आरिफ मसूद ही जीते है।
उत्तर सीट से पहली बार
1990 में आरिफ अकील निर्दलीय जीते थे। इसके बाद 1998 से लगातार आरिफ अकील यहां से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीतते रहे हैं। इस बार उन्होंने अपनी विरासत बेटे को सौंपी। उनके बेटे आतिफ अकील कांग्रेस से पहली बार विधायक चुने गए हैं।
यहां किसी की हैट्रिक तो कोई चौथी बार जीता
बैरसिया से लगातार तीसरी बार भाजपा से विष्णु खत्री जीते हैं। हुजूर से रामेश्वर शर्मा भी तीसरी व नरेला से विश्वास सारंग ने लगातार चौथी बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की है। जबकि, भोपाल मध्य से लगातार दूसरी बार आरिफ मसूद ने कांग्रेस के टिकट पर अपना परचम लहराया है।
सबसे कम व उम्रदराज प्रत्याशी
दोनों नए चेहरे यह महज इत्तेफाक ही है कि पहली बार विधायक बने दो प्रत्याशी सबसे कम उम्र और सबसे अधिक उम्र वाले हैं। उत्तर में आतिफ अकील भोपाल के सबसे कम उम्र (33 साल) के विधायक हैं। तो दक्षिण-पश्चिम में कांग्रेस के पीसी शर्मा को पराजित करने वाले भाजपा के भगवान दास सबनानी सबसे उम्रदराज 58 साल के विधायक हैं।