राजधानी भोपाल के पं. खुशीलाल आयुर्वेद संस्थान के शोध कटुकी अंग्रेजी दवा एस्पिरिन की तरह ही प्रभावी रही। प्रो. नितिन उज्जालिया व अविनाश के मार्गदर्शन में रिसर्च करने वालीं डॉ. प्रियंका जैन ने बताया, 36 चूहों पर 45 दिन के शोध में दवा प्रभावी रही। कुटकी के एक्यूट साइटोटॉक्सिक जांच में कोई साइड इफैक्ट नहीं मिला, जबकि एस्पिरिन से सीने में जलन, खून निकलने जैसी स्थिति बन सकती है।
शोध इसलिए खास
- दिल-दिमाग में खून का थक्का जमने से समय पर इलाज नहीं मिला तो मरीजों की मौत हो सकती है।
- आयुर्वेद साहित्य में कुटकी का वर्णन रक्तविकार, यकृत रोग में मिलता है। इसलिए एंटी थ्रेक्बोटिक शोध के लिए इसका चयन किया गया।