स्कूल शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि शिक्षकों को सकारात्मक सोच को अपनाकर संस्था के विकास की दिशा में काम करना चाहिए। शिक्षा विभाग सिर्फ नौकरी देने के लिए नहीं है। यह समाज निर्माण के लिए है। शिक्षा रोजगार की ओर प्रेरित कर सकती है, पर शिक्षक और शिक्षाविद उस बाजार पर आश्रित नही है। यही हमारे देश की परंपरा है, जिससे शिक्षक का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने चाणक्य का उदाहरण देते हुए कहा कि किस तरह एक शिक्षक ने सकारत्मक सोच के साथ अखंड भारत का निर्माण किया था। परमान ने कहा कि संस्था प्रमुखों को पूर्व छात्रों को सूचीबद्ध कर उन्हें विद्यालयों से जोडऩा चाहिए, ताकि उनके अनुभव का लाभ विद्यार्थियों को मिले।