दो एकड़ में से एक एकड़ जमीन बेचना पड़ी
सीहोर जिले के आष्टा ब्लॉक के ग्राम चितावलिया निवासी नितिन जायसवाल के पास महज दो एकड़ जमीन थी। उन्होंने मार्च 2020 में पनेसर कंपनी का मिनी कंबाइन हार्वेस्टर 5.60 लाख रुपए में खरीदा। इसके लिए उन्होंने कर्ज लिया। कंपनी ने 60 एचपी का ट्रैक्टर खरीदने की जरूरत बताई तो 7.50 लाख् रुपए का नया ट्रैक्टर खरीदा। जब इस मशीन को खेत में उतारा तो ये फेल हो गई। इसके बाद से कंपनी ने हाथ खींच लिए। नितिन बताते हैं कि मशीन खरीदने के बाद से वे 13 लाख रुपए से अधिक के कर्जदार हो गए। कर्ज चुकाने के लिए उन्हें एक एकड़ जमीन बेचना पड़ी। बैंक ने ट्रैक्टर भी खींच लिया। ये मशीन खेत में कबाड़ हो रही है।
देवास जिले के बागली ब्लॉक के किसान गोपाल सेंधव ने बताया कि उन्होंने यूट्यूब चैनल पर पनेसर कंपनी के मिनी कंबाइन हार्वेस्टर को देखा था। गांव के ही एक व्यक्ति ने पंजाब स्थित बरनाला जाकर मशीन देखी। उन्हें बताया गया कि ये मशीन एक घंटे में डेढ़ से दो एकड़ में गेहूं की कटाई करेगी, पर ऐसा नहीं हुआ। मशीन पूरी तरह फेल है। इसके लिए 10 लाख रुपए का टै्रक्टर अलग से खरीदा। अब इसकी किश्त भरना मुश्किल हो रहा है। कंपनी में बात की तो उन्होंने साफ कहा कि इस मशीन के बदले बड़ा हार्वेस्टर खरीदना पड़ेगा।
किसानों ने जब इन चारों कंपनियों के मिनी कंबाइन हार्वेस्टर मशीन के संबंध में भोपाल स्थित कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय से जानकारी निकाली तो पता चला कि इन कंपनियों के कृषि यंत्र भारत सरकार द्वारा अधिकृत नहीं है। ये सभी यंत्र संचालनालय के डीबीटी पोर्टल पर भी पंजीकृत नहीं है। यानी इन यंत्रों की टेस्टिंग नहीं हुई है। इसके बावजूद इन्हें किसानों को बेचा गया।
किसानों से की गई ठगी के मामले में सीहोर कलेक्टर ने 12 जनवरी 2021 को एसपी को पत्र लिखकर कंपनियों के खिलाफ एफआइआर करने के लिए पत्र लिखा था। इसमें उल्लेख किया गया था कि किसानों को बेचे गए कृषि यंत्र खराब हैं और कंपनी इसमें सुधार कार्य नहीं कर रही है। इसके बावजूद एफआइआर दर्ज नहीं की गई।