रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश औद्योगिक केन्द्र विकास निगम जबलपुर का 32वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वित्तीय वर्ष 2013-14 विधानसभा के पटल पर 3 साल 10 माह देरी से रखा गया। समिति ने जवाब मांगा तो कंपनी के सचिव ने खेद व्यक्त करते हुए कहा भविष्य में ब्योरा समय दे दिया जाएगा। यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 से 206-17 तक का रिकार्ड जमा किया जा चुका है।
आचार संहिता के देरी का दिया हवाला
मध्यप्रदेश जल निगम भोपाल का वर्ष 2016-17 का प्रतिवेदन 20 फरवरी 2019 को सदन के पटल पर रखा गया। विभाग ने वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव और आचार संहिता को देरी को वजह बताया। समिति इससे संतुष्ट नहीं हुई।
समिति ने तीन माह में पेश कर दी रिपोर्ट
विधानसभा अध्यक्ष ने पांच मई को समिति का गठन किया था। समिति ने तीन माह में रिपोर्ट दे दी। इस बीच समिति ने संबंधित उपक्रमों के प्रमुखों, विभाग के प्रमुख सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अफसरों से जवाब-तलब किया।
रिपोर्ट में इन सरकारी उपक्रमों का है उल्लेख
संत रविदास मप्र हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम भोपाल, मप्र औद्योगिक केन्द्र विकास निगम जबलपुर, राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम भोपाल, एमपी पॉवर मैनेजमेंट कंपनी जबलपुर, मप्र जल निगम भोपाल, मप्र उऊर्जा विकास निगम, जिला खनिज प्रतिष्ठान झाबुआ, अलीराजपुर, सागर, बैतूल, बालाघाट, जबलपुर, नीमच, पन्ना, छिंदवाड़ा, दमोह, शहडोल, धार, लघु वनोपज व्यापार एवं विकास निगम।