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गौरतलब है कि नगर निगम ने पुराने शहर में ही 700 भवनों को जर्जर घोषित किया है, पर कार्रवाई सिर्फ नोटिस तक ही सीमित है। राजधानी व्यवसायी संघ अध्यक्ष श्यामबाबू अग्रवाल का कहना है कि कई भवनों की उम्र पूरी हो चुकी है, पर निगम इन्हें तोड़ता नहीं है। इससे हादसे की आशंका बनी रहती है।
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अधिकतर भवन 80 से 125 साल पुराने
पुराने शहर के अधिकतर बाजारों में 80 से 125 साल पुराने भवन हैं और इनमें किराएदारों का कब्जा है। खजांची गली में जिस जगह भवन गिरा है उसके आगे छह से अधिक जर्जर मकान हैं। मंगलवार को जो भवन गिरा है उसमें बरसों से जनरल स्टोर की दुकान रही थी। पूर्व में यहां 20 से अधिक किराएदार थे, लेकिन धीरे-धीरे खाली होते गए। कारोबारियों का कहना है कि लखेरापुरा, इब्राहिमपुरा, नदीम रोड, लोहा बाजार, जुमेराती, काजीपुरा, गुर्जरपुरा, घोड़ा निक्कास, इतवारा, छावनी, बुधवारा जैसे बाजारों में अनेक जर्जर भवन हैं, जो बड़े हादसे की वजह बन सकते हैं।
बारिश से कमजोर हो रहे मकान
कारोबारी दिनेश चारुपा और भूपेंद्र कोठारी का कहना है कि जिन मकानों को खाली करने का नोटिस दिया है, उन्हें तत्काल खाली कराया जाए। इस साल हो रही भारी बारिश से मकानों के नीचे पानी बैठ रहा है, जिससे नींव कमजोर हुई है। जर्जर मकानों के ढहने का खतरा कई गुना बढ़ गया है।
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जहांगीराबाद में भी ढह गया कच्चा मकान
जहांगीराबाद गली नंबर दो में एक 200 वर्गफीट का पुराना कच्चा मकान गिर गया। जुनैद खान का ये मकान लंबे समय से बंद था। हादसे में बड़ा नुकसान नहीं हुआ। निगम के अमले ने इस मकान के बचे हुए हिस्से को गिराया।