20 दिनों में ही हुए इतने फेमस
पुराने शहर के बैंड मास्टर तेराहे पर स्थित मेरठ के शाही शीरमाल नाम की दुकान इन दिनों शहर में काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। कारण है यहां का स्पेशल पराठा। जिसने भी ये स्वादिष्ट पराठा एक बार खाया, वो दोबारा से इसे खाने की ख्वाहिश जरूर रखता है। लोगों में इसका इतना क्रेज हो गया है कि, शहर की अन्य दुकानों पर शहर के फेमस शीरमाल और पराठों की बिक्री पर लगभग ब्रेक लग गया है। मेरठ निवासी दुकान संचालक रेहान मलिक ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि, ‘भोपाल शहर मे दुकान खोले हुए अभी 20 से 25 दिन भी नहीं गुजरे हैं। इतने कम समय में यहां के लोगों का इतना प्यार और हमारे शहर की खास चीज को लेकर जो क्रेज देखने में आया है, वो बेहद सराहनीय है। कई बार व्यवस्थाएं बिगड़ जाती हैं, जिससे लोगों को खासा परेशान भी होना पड़ता है, बावजूद इसके लोग अगली बार पराठा खरीदने लौटकर आ रहे हैं। इस बात के लिए मैं लोगों का धन्यवाद करता हूं।’
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‘दो घंटे लाइन में लगकर भी खाली हाथ लौटे’
दुकान इलाके के मुख्य मार्ग पर होने के कारण इसपर भीड़ लगने से पास की मुख्य सड़क परयातायात अवरुद्ध रहता है। जिसे व्यवस्थित रखने के लिए पुलिस को तैनात होना पड़ता है। रात करीब 12 बजे पराठा खरीदने के लिए भीड़ में जद्दोजहद करने वाले एक ग्राहक ने बताया कि, ‘रात करीब 10 बजे से भीड़ में खड़े हैं। इस दौरान दो तीन बार पुलिस द्वारा लाइन भी लगाई गई, लेकिन दुकान के बाहरी हिस्से में जगह कम होने के चलते लाइन बार-बार टूट जाती है और लोगों की भीड़ एक जगह इकट्ठी हो जाती है। कई बार तो भीड़ अव्यवस्थित होने के कारण दुकानदार को शटर ही बंद करना पड़ा। उन्होंने बताया कि, अब भी ऐसा लगता है कि, आज पराठा मिलना मुश्किल है। खाली हाथ घर लौट रहे ग्राहक ने मीडिया के माध्यम से सलाह दी कि, हालात को देखते हुए इन्हें किसी खुले स्थान पर दुकान खोलनी चाहिए ताकि, व्यवस्थाएं ना बिगड़ें। फिलहाल, खाली हाथ घर लौट रहे हैं। कल एक बार फिर लाइन में लगेंगे। शायद नंबर आ जाए।’
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मेवे और मावे का कॉम्बिनेशन है शाही पराठा
मावे और मेवों के कॉम्बिनेशन और कुछ खास चीजों से तंदूर में तैयार होने वाली इस खास शीरमाल में को बनाने में एक साथ चार लोग लगे हैं। साथ ही इसे असली घी और तिल के तेल के मिश्रण में कुछ देर भिगाया जाता है। दुकान संचालक ने बनाया कि, ‘इस शाही पराठे की सबसे बड़ी लोकप्रियता का कारण यही है कि, हम इसे लोगों तक उसी समय बनाकर बिल्कुल ताजी और गर्मा गर्म पहुंचा रहे हैं। साथ ही, इसमें हाइजीन का भी खास ध्यान रखा जा रहा है। बनाने के बाद साफ हाथों से इसे एल्युमिनियम फ्वाइल में लपेटकर दिया जा रहा है। जो तरीका लोगों को काफी पसंद आ रहा है। दुकान संचालक का कहना है कि, यहां के लोगों से मिले इस पॉजिटिव रिस्पांस को देखते हुए आने वाले दिनों में हम अपनी शाही पराठे को पिज्जा पेकिंग में लोगों को परोसने वाले हैं, ताकि पेट में जाने वाली इस चीज से लोगों की सेहत पर किसी तरह का नुकसान ना हो।’
देशभर में अपने शहर का टेस्ट पहुंचाना है मकसद
स्वाद में मीठे इस पराठे को वैसे तो सादा ही खाया जाता है, लेकिन कई लोग इसे चाय या दूध में डिप करके खाना भी काफी पसंद कर रहे हैं। दुकान संचालक ने बताया कि, ‘मुगल काल से मेरठ की पहचान बने इस शाही पराठे को मेरठ में ही काफी पसंद किया जाता है। साथ ही, मेरठ के लोगों ने देशभर के कई शहरों में इस शाही पराठे की दुकाने खोली है, जिसके काफी सकारात्मक परिणाम देखने में आए, लेकिन अब तक जितना पसंद ये भोपाल में किया गया, शायद और कहीं नहीं किया गया। आमतौर पर होटल में मिलने वाली सादी रोटी के दाम पर बिक रहे इस शाही पराठे को इतने कम दामों में बेचने का मकसद बताते हुए दुकान संचालक ने कहा कि, इसके पीछे हमारा मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपने शहर के टेस्ट को पहुंचाना है, ताकि, इसे देश-विदेश में पहचाना जाए। इसी लिए हम इसे लोगों तक कम से कम दामों में पहुंचा रहे हैं।’