चार साल में डॉलर की कीमत 50 से 77 रुपए तक हो चुकी है। महंगाई दर भी बढ़ी है। इस लिहाज से भोपाल-इंदौर में पहले चरण की लागत 14063.42 करोड़ रुपए में 25 से 30 प्रतिशत इजाफा तय है। प्रोजेक्ट का पहला चरण टुकड़ों में बंट गया है। ऐसे में वर्ष 2022 तक काम की समय सीमा भी आगे बढ़ेगी। लोन की बात पहले जापान इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन से हुई थी, लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है।
निर्माण में दोगुना समय
पहले चरण में वर्ष 2022 तक रूट दो एम्स से करोंद तक 14.3 किमी और रूट पांच भदभदा से रत्नागिरी तक 12.34 किमी के बीच काम पूरा करने का दावा है। यह काम टुकड़ों में होगा। इस हिसाब से दोनों रूट पर यातायात शुरू होने में दोगुना वक्त लगना तय है।
मटेरियल, लेबर महंगा
वर्ष 2014 में लोहा 4 हजार रु. क्विंटल था जो अब 6 हजार रु. है। सीमेंट की एक बोरी 250 रु. की थी जो अब 350 तक है। रेत का ट्रक 18 हजार से बढक़र 30 हजार रु. तक पहुंच गया है। लेबर चार्ज भी महंगाई दर की वजह से 25 से 30 फीसदी तक जा पहुंची है।
1.3 की ब्याज दर हमें 12 प्रतिशत पड़ती है
वल्र्ड बैंक, एशियन डवलपमेंट बैंक, न्यू डवलपमेंट बैंक, यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक अंतरराष्ट्रीय लोन पॉलिसी के तहत डॉलर की वर्तमान कीमत पर लोन जारी करते हैं। औसत रूप से इन बैंकों का कर्ज अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1.3 ब्याज दर पर मिलता है। भारत के राज्य 1.3 प्रतिशत की अंतरराष्ट्रीय ब्याज दर रुपए की कीमत पर अदा करते हैं, जिससे यही दर 10 से 12 प्रतिशत तक पड़ती है।
रुपए की कमजोर हालत से अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1.3 फीसदी की ब्याज दर 12 प्रतिशत तक महंगी पड़ती है। मेट्रो का बजट तो फिर चार साल पुराना है।
राजेंद्र कोठारी, अर्बन डवलपमेंट एक्सपर्ट
14063.42 करोड़ रुपए भोपाल-इंदौर मेट्रो की शुरुआती लागत
1.3त्न बैंकों से कर्ज की अतरराष्ट्रीय ब्याज दर है
10-12त्न रुपए में अदा की जाने वाली ब्याज दर
50 रुपए 2014 में एक डॉलर की कीमत
77 रुपए तक बढ़ी 2018 में प्रति डॉलर की कीमतें