सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दोनों आईएएस अफसर भोपाल और इंदौर के कलेक्टर रहे हैं। हालांकि उनका नाम उजागर नहीं हुआ है और किस समय थे। क्योंकि जांच एंजेसियां बहुत सावधानी से इस मामले में मुंह खोल रही हैं। क्योंकि अगर उन सफेदपोश चेहरों के नाम सामने आए तो कई लोग बेनकाब हो जाएंगे। लेकिन पॉलिटिक्ल गलियारे में खूब चर्चा है।
इस गिरोह की जाल में मध्यप्रदेश के एक पूर्व सीएम भी फंस गए थे। हुस्न की नुमाइंदगी पेश करते हुए हनीट्रैप से जुड़ी ये महिलाएं पूर्व सीएम का वीडियो बना लिया था। बाद में उस वीडियो के जरिए उन्हें ब्लैकमेल करने लगी थी। बाद में सेटलमेंट के लिए पूर्व सीएम ने आरोपी महिला को मिनल रेसीडेंसी में एक फ्लैट दिलवाया। उसके बाद इस गिरोह ने पूर्व सीएम का पीछा छोड़ा।
आरोपियों से मध्यप्रदेश एटीएस की टीम सघन पूछताछ कर रही है। लेकिन ये सभी पुलिस को सहयोग नहीं कर रही हैं। अपने आकाओं के नाम का भी ये महिलाएं खुलासा नहीं कर रही हैं। पुलिस को ऐसे में बहुत मुश्किल हो रही है। लेकिन बताया जा रहा है कि आरोपियों की बीजेपी और कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं से संपर्क थे। जो इनकी मदद किया करते थे। गिरफ्तारी के बाद सियासी गलियारों में भी सन्नाटा है। पता नहीं कब किसके चेहरे बेनकाब हो जाएं।
पहले ये महिलाएं काम लेकर अफसर, नेताओं और मंत्रियों से मिलती थी। पहली ही मुलाकात में अपने लटके-झटके से उनका मूड भांपती थी। उसके बाद जब लगता था कि ये हमारे शिकार हो सकते हैं तो फिर मेलजोल बढ़ाती थी। उसके बाद खेल शुरू हो जाता था। फिर अंतरंग बातचीत शुरू होती और होटलों या सुरक्षित ठिकानों पर मुलाकात। फिर यही से गिरोह उनके वीडियो को शूट करता और अपनी जाल में उन्हें फंसा लेती।