मृतक संख्या का जायजा लेते समय क्लिक की थी फोटो
रघु राय के मुताबिक गैस त्रासदी के दूसरे दिन 3 दिसंबर को वे हमीदिया अस्पताल और आसपास में मृतकों की तस्वीरें खींचने के लिए निकले थे। जब वे श्मशान घाट के बाद कब्रिस्तान में मृतक संख्या का जायजा ले रहे थे, तभी वहां एक बच्चे का शव दफन किया जा रहा था। वह मासूम बच्चा था, जिसकी आंखें बंद भी नहीं हो पाई थीं। राय ने तुरंत वह तस्वीर खींच ली। इसके बाद उस पर मिट्टी डाल दी गई। तस्वीर खींचने के बाद थोड़ी देर के लिए वे भी अवाक रह गए कि क्यों इस मासूम बच्चे के ऊपर मिट्टी डाली जा रही है क्यों उसे दफना दिया गया। राय के दिल में यह बात काफी भीतर तक घर कर गई, वे काफी देर तक इसी बारे में सोचते रहे। उनकी रूह भी कांप गई थी। वे सोच रहे थे कि वह उन लोगों को क्यों रोक नहीं सके।
बाद में बन गई गैस त्रासदी की तस्वीर
बच्चे को दफन करने वाली यह तस्वीर आज स्बोल सी बन गई, वह किसी स्मारक की तरह नजर आने लगी। पत्र-पत्रिकाओं और दुनियाभर की मैगजीन में यही तस्वीर लगने से दुनियाभर के लोगों को भोपाल गैस त्रासदी का दर्द महसूस होने लगता है।
उस समय जो मर गए वे भाग्यशाली थे
राय गैस त्रासदी को बेहद दुखद मानते हैं वे अक्सर कहते हैं कि भोपाल की यह घटना याद करने लायक तो नहीं हैं। क्योंकि वो घटना ऐसी भयानक थी कि जिसका असर आज भी हैं, उस घटना के कारण पीडि़त लोग आज भी मर रहे हैं। जिन लोगों के शरीर में ज्यादा गैस चली गई थी उनकी तो उसी दिन मौत हो गई, लेकिन कहा जाता है कि वे लोग काफी भाग्यशाली थे, जो चल बसे। क्योंकि गैस झेलने वाले लोग जो आज जीवित हैं वे तिल-तिल कर मर रहे हैं।
ये भी पढ़ें: देश की पहली महिला कव्वाल, जिसे गैस ट्रेजेडी के बाद कोई सुन न सका
शोध के लिए रखी हैं खोपडिय़ां
दुनिया की इस भीषण त्रासदी में मारे गए लोगों की खोपडिय़ां आज भी हमीदिया अस्पताल में रिसर्च के लिए रखी गई हैं। इसी के आधार पर शोध भी किए जाते रहते हैं।
जमीन नहीं बची थी, लकडिय़ां भी हो चुकी थीं खत्म
गैस त्रासदी के बाद मृतकों की संख्या इतनी थी कि कब्रिस्तानों में जमीन तक नहीं बची थी और शवों को जलाने के लिए लकडिय़ां तक खत्म हो चुकी थीं। कुछ लोग ऐसा भी बताते हैं कि उस दौर में कई लाशों को ट्रकों में भरकर नर्मदा में फेंक दिया गया था। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि उस समय जब कब्रिस्तान में जमीन कम पड़ गई थी। स्थिति यह भी कि नई कब्र खोदने जाते तो उसमें भी पहले से ही लाशें दफन मिलती थीं।