धार भोजशाला का एएसआई सर्वे ASI Survey इंदौर हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश पर किया जा रहा है। इसपर रोक को लेकर काजी मोइनुद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट SC ने याचिकाकर्ता काजी मोइनुद्दीन से कहा कि चूंकि वे इस मामले में हाईकोर्ट में पक्षकार नहीं थे इसलिए हम आपकी याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते। आप हाई कोर्ट जाकर अपनी बात रखें।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से साफ शब्दों में कहा कि हम इस केस में सुनवाई नहीं करेंगे, हाई कोर्ट जाएं।
इससे पहले एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ASI सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर चुका है। सोमवार को ही SC ने यह फैसला सुनाया था। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि उसकी मंजूरी के बिना सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई न की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे में खुदाई करने से भी मना किया। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, मध्यप्रदेश सरकार और ASI को नोटिस जारी किया। इन सभी पक्षों से 4 सप्ताह में जवाब मांगा गया है।
भोजशाला या मस्जिद? सामने आएगी सच्चाई
हिंदू पक्ष का दावा है कि धार की कमाल मौलाना मस्जिद दरअसल मां सरस्वती का मंदिर है। इसका निर्माण राजा भोज ने संस्कृत की पढ़ाई के लिए करवाया था। बाद में मुगलों ने मंदिर तोड़कर वहां मस्जिद बना ली। धार भोजशाला पर अपना दावा करते हुए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने हाईकोर्ट में सर्वे के लिए याचिका लगाई थी। इसपर इंदौर हाईकोर्ट ने एएसआई को भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दिया था।
मुस्लिम पक्ष इस सर्वे का विरोध कर रहा है। इसी के अंतर्गत धार भोजशाला के एएसआई सर्वे Bhojshala ASI Survey के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिका कमाल मौलाना मस्जिद के मुतवल्ली यानि कार्यवाहक काजी मोइनुद्दीन द्वारा दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा।