जानकारी के अनुसार सागर निवासी सुधाकर सिंह राजपूत ने अगस्त 2018 में उच्च शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश शासन में एक सूचना का अधिकार लगाया था, जिसमें वर्ष 2003 में तत्कालीन विधायक सीताशरण शर्मा द्वारा विधानसभा सत्र में चाही गई जानकारी को मांगा गया था।
इसके तहत भोज विवि में वर्ष 2002-03 और 2003-04 जुलाई तक कितने लोगों की नियुक्ति की गई, उनके नाम, पिता का नाम व पता की जानकारी मांगी गई थी। इसके साथ ही ये नियुक्तियां किस नियम के अनुसार जैसे सामान्य प्रशासन के नियम या विवि के नियम अथवा अन्य किसी नियम से हुई इसकी जानकारी मांगी गई। इसके तहत संबंधित दस्तावेज, आदेशों की सत्यापित प्रतिलिपि मांगी गई थी।
इसमें विवि के निलंबित डायरेक्टर प्रवीण जैन की नियुक्ति संबंधी पद, विभाग, चयन प्रक्रिया विज्ञापन पद, विभाग की स्वीकृति आदि के बारे में भी जानकारी चाही गई ।
आरटीआई के तहत मांगी गई इस जानकारी को उपलब्ध कराने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने भोज विवि को पत्र लिखकर सीधे जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा था। नवंबर माह में विवि ने जो जवाब दिया है उसमें विवि के लोक सूचना अधिकारी ने कहा है कि इन नियुक्तियों से जुड़ा उनके पास कोई रिकार्ड नही है।
प्रोफार्मा में मांगी कुलपति ने जानकारी, कर्मचारियों में हड़कंप
भोपाल. मप्र भोज मुक्त विवि के कर्मचारियों में इस समय हड़कंप मचा हुआ है। विवि के कुलपति डॉ. जयंत सोनवलकर ने कर्मचारियों से उनकी योग्यता, नियुक्ति, नियुक्ति प्रक्रिया, स्थायी किए जाने समय योग्यता आदि की जानकारी एक तय प्रोफार्मा में मांगी है। कुलपति द्वारा जारी प्रोफार्मा को भरने में कर्मचारियों को पसीना छूट रहा है।
दें भोज विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध तरीके से शिक्षकों और कर्मचारियों को नियमित किया गया है। भोज विवि के निलंबित डायरेक्टर प्रवीण जैन पर पैसे लेकर कर्मचारियो को गलत तरीके से नियमित किए जाने के आरोप हैं। यहां सेकंड क्लास के पद पर भी कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया जबकि इस पद पर नियमितीकरण किया ही नहीं जा सकता। ऐसे में कर्मचारी इस प्रोफार्मा को भर ही नहीं पा रहे हैं। यदि भरते हैं तो आधे से अधिक कर्मचारी स्वयं के द्वारा दी गई जानकारी में ही फंस जाएंगे। बता दें इसके पहले पूर्व कुलपति डॉ. आरआर कान्हेरे ने भी प्रोफार्मा में जानकारी मांगी थी, पर कर्मचारियों ने जानकारी उपलब्ध नहीं कराई थी।