व्यवस्थाएं ऑनलाइन होने के बावजूद यूनिवर्सिटी कर्मचारी विद्यार्थियों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। हाल यह है कि यहां भले ही किसी भी काम से आप जाएं लेकिन पुरानी पद्धति पर चल रहे काम से कर्मचारी बेफिजूल परेशान करते ही हैं। यहां हर दिन छात्र परेशान होते रहते हैं, लेकिन कोई सुध नहीं लेता।
कुछ ऐसे छात्र भी पहुंच रहे हैं जिन्हें छह-छह माह डिग्री के लिए आवेदन किए हो गए लेकिन न वह डिस्पेच हुई, न ही किसी ने कोई ध्यान दिया। विश्वविद्यालय का स्टाफ भी आवेदकों को एक जगह से दूसरी जगह भेजता रहता है ताकि उन्हें काम न करना पड़े।
मेरे भाई ने डिग्री के लिए आठ माह पहले अप्लाय किया था। यहां 200 किमी दूर से पहुंचे तो मार्कशीट में नाम संशोधन बता दिया। उसके सरनेम में गलती थी, वह गलती भी यूनिवर्सिटी ने ही की। हमने फॉर्म सही भरा था। अब जब उसमें त्रुटि सुधार के लिए पहुंचे तो परेशान कर दिया। कभी इधर तो कभी उधर भेज देते हैं।
– विष्णु दांगी, स्टूडेंट, राजगढ़
परेशान होकर रुपए दिए, तब मिली डिग्री
मेरी बहन को विदेश जाने के लिए डिग्री चाहिए थी, करीब छह माह पहले अप्लाय किया था। सब डॉक्युमेंट्स थे लेकिन डिग्री नहीं दी। शाखा के ही एक कर्मचारी को जब रुपए दिए तो दो दिन में डिग्री घर पहुंच गई। यहां जो जाता है वह परेशान ही होता है, कोई सुध लेने वाला नहीं है।
– परवेज खान, बिजनेसमैन, भोपाल
मैंने संबंधित कर्मचारियों से कहा है कि विद्यार्थियों को परेशानी नहीं आनी चाहिए। जहां जिस भी स्तर से दिक्कत होगी, हम उसे ठीक कराएंगे। विद्यार्थियो को परेशान नहीं होने देंगे।
– आरजे राव, कुलपति, बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी