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केवल नाम का डिजिटल, असल में पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है बरकतउल्ला विश्वविद्यालय,भोपाल

– मामूली काम के लिए भी छात्रों को परेशान कर देता है बरकतउल्ला विश्वविद्यालय स्टाफ- डिग्री लेना, मार्कशीट में संशोधन करना बड़ी चुनौती – नए जमाने की पुरानी यूनिवर्सिटी

भोपालAug 02, 2022 / 03:46 pm

दीपेश तिवारी

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भोपाल। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय सिर्फ कागजों में ही डिजिटल हो पाया है। हकीकत में विद्यार्थियों के लिए यहां कोई काम कराना, किसी मुसीबत से कम नहीं है। यूनिवर्सिटी की व्यवस्थाएं बदतर हाल में हैं। अगर विद्यार्थी को डिग्री लेना हो, मार्कशीट में कोई संशोधन कराना हो या नई मार्कशीट जारी कराना हो, इन सभी कामों के लिए उन्हें परेशान होना पड़ता है।

व्यवस्थाएं ऑनलाइन होने के बावजूद यूनिवर्सिटी कर्मचारी विद्यार्थियों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। हाल यह है कि यहां भले ही किसी भी काम से आप जाएं लेकिन पुरानी पद्धति पर चल रहे काम से कर्मचारी बेफिजूल परेशान करते ही हैं। यहां हर दिन छात्र परेशान होते रहते हैं, लेकिन कोई सुध नहीं लेता।

कुछ ऐसे छात्र भी पहुंच रहे हैं जिन्हें छह-छह माह डिग्री के लिए आवेदन किए हो गए लेकिन न वह डिस्पेच हुई, न ही किसी ने कोई ध्यान दिया। विश्वविद्यालय का स्टाफ भी आवेदकों को एक जगह से दूसरी जगह भेजता रहता है ताकि उन्हें काम न करना पड़े।

छात्रों ने कुलपति को घेरा, तो स्टॉफ से बोले, तुम लोग काम क्यों नहीं करते: 28 जुलाई को परेशान छात्रों ने कुलपति का घेराव किया। उन्हें कहा कि हमें आपके स्टाफ ने परेशान कर दिया है। एक छोटे से काम के लिए दिनभर चक्कर लगवाते हैं। कुलपति ने अधीनस्थ स्टाफ से कहा कि तुम लोग काम क्यों नहीं करते? छात्र छोटे-छोटे काम के लिए हमारे पास आ रहे हैं तो आप लोग कर क्या रहे हो? उन्होंने परीक्षा विभाग, डिग्री विभाग और रिकॉर्ड विभाग सहित अन्य को डांटा और कहा कि आगे से ध्यान रहे छात्र परेशान न हों।
पहले खुद गलती की, उसे सुधारने में भी परेशान किया
मेरे भाई ने डिग्री के लिए आठ माह पहले अप्लाय किया था। यहां 200 किमी दूर से पहुंचे तो मार्कशीट में नाम संशोधन बता दिया। उसके सरनेम में गलती थी, वह गलती भी यूनिवर्सिटी ने ही की। हमने फॉर्म सही भरा था। अब जब उसमें त्रुटि सुधार के लिए पहुंचे तो परेशान कर दिया। कभी इधर तो कभी उधर भेज देते हैं।
– विष्णु दांगी, स्टूडेंट, राजगढ़
https://youtu.be/gCiFRfFdG3M
छात्रों का दर्द… छह माह से हैं परेशान…
परेशान होकर रुपए दिए, तब मिली डिग्री
मेरी बहन को विदेश जाने के लिए डिग्री चाहिए थी, करीब छह माह पहले अप्लाय किया था। सब डॉक्युमेंट्स थे लेकिन डिग्री नहीं दी। शाखा के ही एक कर्मचारी को जब रुपए दिए तो दो दिन में डिग्री घर पहुंच गई। यहां जो जाता है वह परेशान ही होता है, कोई सुध लेने वाला नहीं है।
– परवेज खान, बिजनेसमैन, भोपाल
विद्यार्थियों को परेशान नहीं होने देंगे
मैंने संबंधित कर्मचारियों से कहा है कि विद्यार्थियों को परेशानी नहीं आनी चाहिए। जहां जिस भी स्तर से दिक्कत होगी, हम उसे ठीक कराएंगे। विद्यार्थियो को परेशान नहीं होने देंगे।
– आरजे राव, कुलपति, बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी

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