अप्रैल महीने के पहले दिन को आमतौर पर पूरी दुनिया मूर्ख दिवस के रूप में मनाती है। इस दिन अच्छे खासे समझदार और प्रतिभाशाली व्यक्ति भी मूर्ख बनने, बनाने या कहलाने में खुशी महसूस करते हैं। क्या है इस रोचक दिवस का इतिहास और इस दिन से जुड़े रोचक तथ्य।
इतिहास में 1860 की 1 अप्रैल बहुत मशहूर रहा है। लंदन में हजारों लोगों के पास डाक कार्ड से पोस्ट कार्ड द्वारा एक सूचना पहुंची कि आज शाम टॉवर ऑफ लंदन में सफेद गधों के स्नान का प्रोग्राम होगा। इस देखने के लिए आप सब लोग आमंत्रित हैं। कृपया साथ में कार्ड जरुर लाएं।
उस समय टॉवर ऑफ लंदन में आम लोगों के जाने पर मनाही थी। शाम होते टावर के आसपास हजारों लोगों की भीड़ जमा होने लगी और अंदर जाने के लिए धक्का-मुक्की होने लगी। लोगों को जब पता चला कि उन्हें मूर्ख बनाया गया है तो वह अपने घर लौट गए।
फ्रांस के नारमेडी मे 1 अप्रैल को एक अनोखा जुलूस निकलता था, एक घोड़ा गाड़ी में सबसे मोटे आदमी को बैठाकर सारे शहर में घुमाया जाता ताकि लोगों की उसपर नजर पड़े और लोग खूब हंसे।
मूर्ख दिवस मनाए जाने को लेकर कई रोचक अवधारणाएं प्रचलित हैं।
-प्राचीनकाल में रोमन लोग अप्रैल में अपने नए साल की शुरुआत करते थे।
-मध्यकालीन यूरोप में 25 मार्च को नएसाल के उपलक्ष्य में एक उत्सव भी मनाया जाता था।
-1852 में पोप ग्रेगरी अष्ठम ने ग्रेगेरियन कैलेंडर (वर्तमान में मान्य कैलेंडर) की घोषणा की।
-जिसके आधार पर जनवरी से नए वर्ष की शुरुआत की गई।
-कई लोगों को इसके बारे में जानकारी ही नहीं थी।
-जिसके चलते नए कैलेंडर के आधार पर नववर्ष मनाने वाले लोग पुराने तरीके से अप्रैल में नववर्ष मनाने वाले लोगों को मूर्ख मनाने लगे और तभी से अप्रैल फूल या मूर्ख दिवस का प्रचलन बढ़ता चला गया।
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