जल्द एफसीएम इंजेक्शन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी लगाना शुरू किए जाएंगे। निजी अस्पतालों में यह इंजेक्शन लगवाने के लिए लगभग 3500 रुपए शुल्क लगता है, जबकि सरकारी अस्पतालों में यह इंजेक्शन नि:शुल्क लगाए जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग ने यह इंजेक्शन लगाने के लिए डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है।
तेजी से बढ़ता है हीमोग्लोबिन
एनएचएम मातृ स्वास्थ्य शाखा की वरिष्ठ संयुक्त संचालक डॉ. अर्चना मिश्रा के अनुसार जिन गर्भवती महिलाओं या अन्य मरीजों में हीमोग्लोबिन का लेवल 9 के नीचे पहुंच जाता है वे उनका इलाज एफसीएम इंजेक्शन से किया जाता है। यह एक ही इंजेक्शन हीमोग्लोबिन को तेजी से बढ़ा देता है। इससे उन्हें बार-बार इंजेक्शन नहीं लगवाना पड़ते हैं। जल्द पीएचसी लेवल पर भी यह इंजेक्शन लगाना शुरू किया जा रहा है। इससे दूरस्थ क्षेत्रों की महिलाओं को भी इसका लाभ मिलेगा। ये भी पढ़ें: बिजली उपभोक्ताओं को राहत, सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक कम आएगा ‘बिजली बिल’ प्रदेश की 52.8 प्रतिशत गर्भवती एनीमिक
नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार मध्यप्रदेश में 52.8 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में खून की कमी या एनीमिया पाया गया है। इसके साथ बड़ी संख्या में बालिकाओं में भी खून की कमी की शिकायतें आती हैं। सामान्य तौर पर इसका इलाज आयरन-फॉलिक एसिड की टेबलेट से किया जाता है, इनसे पेट संबंधी समस्याएं होने लगती हैं। इसे देखते हुए पहले आयरन सुक्रोज इंजेक्शन लगाना शुरू किया गया था। इसके पांच डोज लगवाना जरूरी थे। ज्यादातर एनीमिया के मरीज एक-दो डोज ही लगवाते थे।
इनको पड़ती है जरूरत
एनीमिया गर्भवती महिलाओं और बालिकाओं के साथ दुग्धपान कराने वाली माताओं, इंफ्लेमेटरी डिसीज, हेबी यूटेराइन ब्लीडिंग, क्रॉनिक किडनी डिसीज वाले मरीजों को जरूरी।