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भोपाल

Anand Path: तनाव से उभरने और मन शांत करने का अलग तरीका बताती है यह किताब

Anand Path – Aantarik Sarthak Talash: एक पत्रकार के अवसाद से उभरने की दास्तां, अपने भीतर झांकना भी सिखाती है यह किताब।

भोपालFeb 28, 2022 / 03:01 pm

Manish Gite

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“आनंद पथ: आंतरिक सुख की सार्थक तलाश”

 

भोपाल। सामान्यतः हम किसी न किसी मानसिक उलझन में घिरे रहते हैं। कुछ पल के लिए हमें निजात भी मिल जाती है, लेकिन फिर वही पुराने अंदाज में जीने लगते हैं। इसके बाद फिर वही दौर शुरू हो जाता है। इस प्रकार हमारा जीवन एक ही चक्र में घूमता रहता है। जो अपनी आंतरिक ऊर्जा को बढ़ाने पर लगातार काम करता है, वह न केवल अपनी मानसिक उलझनों को खत्म करने में कामयाब रहता है, बल्कि दूसरों को भी इस तनाव ग्रस्त जीवन से बाहर निकालने में मदद करता है।

 

भोपाल से लेकर दिल्ली तक कई संस्थानों में काम कर चुके पत्रकार अमित कुमार निरंजन (author amit kumar niranjan) ने इन्हीं मुद्दों पर एक किताब लिखी है। अमित की किताब “आनंद पथ: आंतरिक सुख की सार्थक तलाश” आंतरिक खुशी के कई रास्ते बताती है। पीएमओ, पार्लियामेंट, लोकसभा चुनाव, केन्द्रीय मंत्रालयों पर आधारित राष्ट्रीय खबरों को कवर चुके अमित ने मानसिक तनाव से उभरने और आंतरिक खुशी को खोजने की यात्रा ‘आनंद पथ’ किताब में लिखी है।

 

लेखक का दावा है कि ये किताब आंतरिक खुशी के रास्ते खोलेगी। यह पुस्तक सिखाएगी कि कैसे अपने जीवन से नकारात्मकता को दूर किया जाए। यदि आप हिम्मत और धैर्य के साथ अपने भीतर झांकने की तरकीब सीखने को तैयार हैं तो यह किताब आपकी मदद करेगी। आंतरिक शांति असंभव नहीं है, इसे प्राप्त किया जा सकता है। यह पुस्तक आपको अच्छे संबंध बनाने और आत्म-सुधार करने में मदद करेगी। किताब (Anand Path – Aantarik Sarthak Talash) का संपादन साहित्यकार संजय देव और मयंक चतुर्वेदी ने किया है।

 

लेखक का संक्षिप्त परिचय

“दिल्ली विवि से ग्रेजुएशन और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विवि से पत्रकारिता की मास्टर डिग्री लेने के बाद करीब सवा दशक तक पत्रकारिता में समय बीता। राष्ट्रीय स्तर की रिपोर्टिंग बाहरी सत्य से रू-ब-रू करवाने का जरिया बनी। लेकिन, जब खुद की खोज यात्रा में निकला तब अंदरूनी सत्य ने जीवन का फलसफा बदल दिया। जिस खुशी, आनंद और मानसिक शांति की तलाश में आम इंसान भटक रहा है, उसे पाया जा सकता है, इस बात का भरोसा हुआ। गृहस्थी और अपनो के बीच रहकर वह सुख-दु:ख के कुचक्र से निकल सकता है।”

 

पत्रकारिता छोड़ अपनाया यह रास्ता

इस आनंद और मानसिक शांति को जन साधारण तक पहुंचाने के लिए अमित कुमार निरंजन ने पत्रकारिता को छोड़ा और इससे इतर अलग रास्ता अपनाया। अमित अब लाइफ कोच, हीलर, मोटिवेशनल और आध्यात्मिक वक्ता हैं, जो खास तरीके और तकनीक से लोगों को मानसिक तनाव और गहरे दुःख से बाहर निकालने में मदद करते हैं। उनका लक्ष्य है कि वे दुनिया के परम ज्ञान को प्रासंगिक और साधारण तरीके से लोगों तक पहुंचाएं। अमित अंत:सुखम के फाउंडर हैं। ये संस्था मानसिक तनाव और गहरे दु:ख से निजात दिलाने और आत्मिक विकास में मदद करती है।

 

लेखक ने बताए अपने अनुभव

लेखक की इस यात्रा में उसे कुछ ऐसी चीजें हाथ लगी, जिसने उसे हैरत में डाल दिया। चमत्कृत करने वाली घटनाएं भी हुईं। वह कुछ पुरातन आध्यात्मिक प्रक्रिया से गुजरा और एक दिन के सेशन से उसका डिप्रेशन खत्म हो गया। किताब में लेखक लिखता है कि मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मैं मन में कई टनों का भार दो दशक से भी ज्यादा समय से ढो रहा हूं। मेरा 100 किलो का वजनी शरीर अचानक 20 किलो का महसूस होने लगा। मुझे बाद में महसूस हुआ कि दरअसल ये वजन मेरे हाड़-मांस का नहीं, बल्कि उन सूक्ष्म गांठों का था, जिन्हें मैं पिछले कई सालों से बना रहा था। ये गांठें बनती चली गईं। जैसी ही ये गांठें हटीं, ऐसा लगा जैसे पूरे शरीर के अंदर से कचरा निकल गया। उस दिन मेरा मन सबसे ज्यादा शांत था, 35 साल की उम्र में इतना शांत मन मैंने कभी महसूस नहीं किया। अब शांत मन ने करिश्मा दिखाना शुरू किया, महज तीन हफ्ते में 100 किलो वजनी तन से मैंने हाफ मैराथन (21 किमी) की दौड़ पूरी कर ली। शरीर को दाव पर लगाकर मन की ताकत को आजमाया। अचानक बढ़े मन की ताकत ने मेरे अंदर जिज्ञासा पैदा कर दी। यहां तय किया कि मैं खोजने की कोशिश करूंगा कि आखिर मैं डिप्रेशन में क्यों फंस गया था, सुख-दुख के कुचक्र में मैं बार-बार क्यों फंस रहा हूं। पत्रकारिता में रहते हुए इसका जवाब खोजना आसान नहीं था। मैंने नौकरी छोड़ दी। जाहिर है, रास्ता मुश्किल होने वाला था। यहां से शुरू हुआ खुद को खोजने का सफर। इस खोज में मेरे साथ ऐसी घटनाएं होने लगीं, जिसे हमारे यहां ईश्वरीय या दैवीय कृपा के तौर पर देखा जाता है। मैं इसे मानने के लिए तैयार नहीं था, मेरी जिज्ञासा को शांत करने वाले नेपाल में मिले। यहां भेंट हुई बौद्ध धर्मगुरु से, जो हार्वर्ड से पढ़े हुए थे। अब यहां मेरा जीवन अगले ऑर्बिट में शिफ्ट होने वाला था।

इन्होंने कुछ सवालों के जवाब दिए तो कुछ जवाबों की तलाश के लिए कुछ रास्ते बताए। भगवान बुद्ध द्वारा बताए गए रास्तों पर चला तो जवाब मिला प्रकृति के नियम हैं कुछ और जी हम किसी अन्य नियम से रहे हैं। किताब अमेजन, किंडल, फ्लिपकार्ट, नोशन प्रेस पर उपलब्ध है।

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