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यह राजस्व भूमि में थी, इसमें छोटे-बड़े झाड़ का जंगल है, इसके बाद भी यहां 26 रसूखदारों के फार्म हाउस, कारोबार और आवासीय प्लाट हैं। अब इस भूमि पर होटल-रिजॉर्ट एवं अन्य व्यावसायिक केंद्र नहीं खोले जा सकेंगे, बल्कि पौधरोपण कर इसे जंगल बनाया जाएगा। बताया जाता है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने फरवरी 2020 को इस क्षेत्र को संरक्षित घोषित करने के निर्देश दिए थे।
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जनजाति संग्रहालय एवं पुरातत्व संग्रहालय की बदले वन विभाग को चंदनपुरा में दी गई 357.780 हेक्टेयर राजस्व भूमि और उससे सटे क्षेत्र की जमीन को रसूखदारों ने खरीद थी। इनमें नेता, बड़े अधिकारी, बिल्डर और उद्योगपति शामिल हैं, जो बंगले बनाने के साथ विभिन्न व्यवसायिक केंद्र भी खोलना चाहते थे। जबकि इस क्षेत्र में एक दर्जन से ज्यादा बाघों का आना-जाना लगातार बना रहता है। इसे लेकर भोपाल के नूर मोहम्मद ने एनजीटी में याचिका लगाई थी। उन्होंने इस क्षेत्र को बाघों के लिए संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की मांग की थी। मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने 6 फरवरी 2020 को इस भूमि को संरक्षित बन घोषित करने के निर्देश दिए थे।
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सीएस की अध्यक्षता में बनानी थी समिति
एनजीटी ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करने को कहा था, जिसे क्षेत्र का दौरा कर वस्तु स्थिति बताना थी। इस बीच केंद्रीय वन मंत्रालय के अधिकारियों के एक दल ने क्षेत्र का दौरा किया व इसे संरक्षित वन क्षेत्र घोषित करने के पक्ष में लिखा। भोपाल वनवृत्त के मुख्य वनसंरक्षक ने मई 2021 में इस भूमि को संरक्षित बन घोषित करने का प्रस्ताव वन मुख्यालय को भेजा था।
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