दर्ज आंकड़ों के अनुसार, महिला बाल विकास विभाग द्वारा स्कूल से पढ़ाई छोड़ने वाली 13.41 लाख लड़कियों को बीते 5 वर्षों में पोषण आहार उनके घर जा कर दिया गया है। इस पर सरकारी खजाने से लगभग 25 करोड़ रुपए (424 करोड़ 88 लाख रुपए) खर्च किए गए। जबकि सर्व शिक्षा अभियान के अधिकारियों ने दावा करते हुए कहा है कि, उनकी ओर ग्राउंड लेवल पर पहुंचकर जांच की गई है, ये कोई छोटा मोटा नहीं बल्कि एक बड़ा घोटाला है। स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संबंध में भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक यानी CAG को जानकारी भेज दी गई है, ताकि मामले स्पष्ट जांच हो सके।
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ग्राउंड लेवल पर की गई जांच- दावा
स्कूल शिक्षा विभाग ने बताया कि, उनकी ओर से कुल 2 लाख 17 हजार 211 लड़कियों को चिन्हित किया गया था। इनमें से 1 लाख 71 हजार 365 लड़कियों को पोषण आहार दिये जाने की पुष्टि हो सकी है। महिला बाल विकास विभाग से उनके दावे के समर्थन में लड़कियों के नाम की सूची मांगी गई थी। लेकिन, डिपार्टमेंट की ओर से अभी तक इस संबंध में लिस्ट उपलब्ध नहीं कराई है। अब बड़ा सवाल ये है कि, अगर उन्होंने उन्होंने लड़कियों को घर जाकर पोषण आहार वितरित किया है तो उनके पास इस संबंध में स्पष्ट रिकॉर्ड होना भी स्वभाविक है।
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