ऑक्सीजन सिलेंडर: इनके नहीं होने से जान बचाना मुश्किल।
बीपी इंस्टूमेंट: इस उपकरण से ही मरीज की स्थिति पता चलती है।
व्हील चेयर : नई एम्बुलेंस में व्हील चेयर के लिए जगह भी नहीं है।
सक्शन मशीन : मरीज के गले से कफ या जमा खून निकालने में इसकी जरूरत होती है। पर नहीं है।
नेब्यूलाइजर: श्वांस के मरीजों को जरूरत होती है, पर नहीं है।
निडिल डिस्ट्रॉयर: निडिल डिस्ट्रॉय करने के लिए न तो कंपनी ने यह मशीन दी और न ही पॉली बैग।
डिलेवरी किट: गर्भवती महिलाओं की कई बार रास्ते में ही प्रसव हो जाता है। इसके बाद भी एम्बुलेंस में डिलेवरी किट तक नहीं रखी गई।
मिसरोद क्षेत्र की एम्बुलेंस लंबे समय से कंडम है। करोंद, कोलार की गाडिय़़ां भी आए दिन खराब हो जाती हैं। न तो इनके स्थान पर नई एम्बुलेंस खरीदी जा रही हैं, न ही बैकअप में गाडिय़ां।
दतिया – एमपी02एवी6345- ग्लूकोमीटर, सक्शन डिवाइस, मल्टीपैरा मॉनीटर, पोर्टेबल वेंटीलेटर
दतिया – एमपी02एवी5646-ग्लूकोमीटर, पल्स ऑक्सीमीटर, बीपी मशीन, थर्मामीटर, अंबुबैग
छतरपुर – एमपी02 एवी6649-ग्लूकोमीटर, सक्शन डिवाइस, थर्मामीटर
(रिपोर्ट में अन्य जिलों की एंबुलेंस का भी विवरण है)
-जितेंद्र शर्मा, प्रोजेक्ट हेड, जिकित्जा हेल्थ केयर