mp.patrika.com आपको बता रहा है कि यदि आपकी कमाई टैक्सेबल नहीं है फिर भी आयकर रिटर्न ITR भरने से कितने फायदे होते हैं…।
भोपाल के सीनियर चार्टर्ड एकाउंटेंट जितेंद्र सिंह बघेल बताते हैं कि ज्यादातर लोग टैक्स भरने में कतराते हैं, लेकिन वे काफी बड़ी गलती करते हैं। यदि टैक्सेबल इनकम नहीं है तो भी आयकर की विवरणी सरकार को देना चाहिए। इसके नुकसान नहीं, कई फायदे होते हैं।
इन्हें रिटर्न भरने की नहीं है बाध्यता
आयकर के लिए बने कानून के अनुसार ढाई लाख रुपए की सालाना कमाई आयकर के दायरे में नहीं आती है। उसे आयकर रिटर्न भरने की कोई बाध्यता भी नहीं है, लेकिन यदि वो व्यक्ति फिर भी रिटर्न भरता है तो उसे भविष्य में कई जगह फायदे होंगे। इसके अलावा 80 साल से कम और 60 साल से ज्यादा आयु वाले लोगों की यदि सालाना आय 3 लाख रुपए है या 80 साल से अधिक उम्र वाले व्यक्ति की वार्षिक आय पांच लाख से अधिक है तो उन्हें आईटीआर भरने की कानूनी बाध्यता नहीं रहती है।
आसानी से मिल जाता है लोन
यदि आपको मकान खरीदना है या मकान बनवाना है, तो लोन लेने के लिए फाइनेंस कंपनियां या बैंक दो साल का आयकर रिटर्न देखती है। क्योंकि उसमें ही लिखा होता है कि आपकी कितनी कमाई है। यह उन लोगों के लिए बेहद जरूरी है, जिनकी कमाई का कोई रिकार्ड नहीं रहता है। इससे आपकी सालाना कमाई की पुष्टि हो जाती है और आपको लोन आसानी से मिल जाता है।
विदेश जाने का वीजा भी मिल जाता है
इसके अलावा यदि आप विदेश जाने का प्लान कर रहे हैं या किसी एजुकेशन या नौकरी के लिए विदेश जाना चाहते हैं तो भी दूसरे देशों का वीजा आयकर रिटर्न की कॉपी देखकर आसानी से मिल जाता है। गौरतलब है कि आयकर रिटर्न ये बताता है कि आपकी व्यवस्थित आय है और एक जिम्मेदार नागरिक हैं। इसी आधार पर आपको आसानी से वीजा देने का फैसला लिया जाता है। अन्यथा बगैर रिटर्न के वीजा मिलना कठिन काम होता है।
इनकम टैक्स के नियम के मुताबिक यदि आप आयकर के दायरे में आते हैं और आपका इनकम टैक्स डिडक्ट हो जाता है तो संबंधित वर्ष का आंकलन करके आईटीआर फाइल किया जा सकता है। आपको रिटर्न जरूर फाइल करना चाहिए ताकि आपको जो भी नुकसान हुआ है, उसकी भारपाई आनेवाले वर्षों में की जा सकती है।
यदि आप बड़े अमाउंट का लेन-देन करते हैं तो आयकर विवरणी आपके लिए काफी मददगार साबित होगी। क्योंकि आप उसमें सारा रिकार्ड दर्शाते हैं कि कितनी कमाई हुई और कितना व्यय हुआ। हर साल रिटर्न फाइल करते रहने से प्रापर्टी बेचने-खरीदने, बैंक में बड़ी रकम जमा करने, म्यूचुअल फंड में बड़े निवेश के बाद आपको आयकर विभाग से नोटिस आने का खतरा भी नहीं रहता है। आपको कोई जवाब भी नहीं देना पड़ेगा।
दुर्घटना के मुआवजे में देता है बड़ी राहत
मोटर व्हीकल एक्ट में तो दुर्घटना में हुई मौत या अपंगता की स्थिति में कंपनसेशन का दावा करने के लिए आयकर रिटर्न की जरूरत नहीं होती, लेकिन सेल्फ एम्पलॉयड व्यक्ति के मामले में आयकर विवरणी की जरूरत बताई गई है। इसमें मुआवजे के क्लेम्स ट्रब्यूनल अब आयकर विवरणी मांगने लगे हैं। क्योंकि मुआवजा केस सेटल करते वक्त आपकी आय-व्यय का विवरण देखा जाता है। मतलब आय का सबूत देखा जाता है। यदि प्राइवेट नौकरी करते हैं तो सैलरी स्टेटमेंट या 6 माह के बैंक स्टेटमेंट ही पर्याप्त माने जाते हैं।
देश के कानून का सम्मान करने वाले नागरिकों को अपनी इनकम सरकार को बताना चाहिए। इसके लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट हैं जहां आयकर विवरणी भरना होता है। यह सभी नागरिकों का कर्तव्य भी है।
यदि आपने बड़ी रकम का बीमा प्लान ले रखा है तो बीमा कंपनियां आपसे ITR मांग सकती है। ऐसा आपकी वास्तविक आय जानने के लिए किया जाता है। उसके अलावा नियमतता भी बरखी जाती है। इसके लिए आयकर रिटर्न पर भरोसा किया जाता है। एक्सीडेंटल डेथ क्लेम में भी सरकार को इनकम के लिए आयकर रिटर्न बताना होता है। उसी के बाद मुआवजा मिल जाता है।
-यदि आप बड़े बिजनेसमैन हैं और सरकारी महकमे में अपने प्रोडक्ट बेचना चाहते हैं तो भी आयकर रिटर्न की जरूरत बड़ती है।
-आयकर रिटर्न नहीं भरने की स्थिति में आप पर पेनल्टी भी लगाई जा सकती है। इसमें आयकर की धारा 234ए के तहत ब्याज भी देना पड़ सकता है।
-यदि आपकी सैलरी से टीडीएस कटता है तो आप आसानी से रिफंड भी पा सकते हैं।