scriptफैक्ट्रियों में अवैध बोरिंग एवं ईटीपी की हकीकत नहीं आई सामने | Reality of illegal boring and ETP in factories not revealed | Patrika News
भिवाड़ी

फैक्ट्रियों में अवैध बोरिंग एवं ईटीपी की हकीकत नहीं आई सामने

प्रभारी सचिव ने बैठक में उक्त बिंदुओं पर कार्रवाई करने के दिए थे निर्देश

भिवाड़ीApr 02, 2024 / 07:05 pm

Dharmendra dixit

फैक्ट्रियों में अवैध बोरिंग एवं ईटीपी की हकीकत नहीं आई सामने

फैक्ट्रियों में अवैध बोरिंग एवं ईटीपी की हकीकत नहीं आई सामने

भिवाड़ी. उद्योग क्षेत्र में 29 मार्च को तेज हवा के साथ थोड़ी देर बारिश हुई। बारिश में शहर की क्या स्थिति होगी, इसका ट्रायल हो गया। प्रशासन ने जलभराव रोकने अभी तक जो प्रयास किए वह कितने सफल होंगे, इसका पता चला गया। कुल मिलाकर धारूहेड़ा बायपास पर पानी नहीं भरा। हालांकि शहर में उन स्थलों पर जरूर परेशानी खड़ी हुई जो कि हरियाणा सीमा से लगते हुए थे। कई फैक्ट्रियों में ही पानी भर गया। फैक्ट्रियों से निकलने वाले पानी को लेकर प्रशासन का कहना है कि अब काफी हद तक अंकुश लग चुका है लेकिन फैक्ट्रियों को लेकर अभी भी कई बिंदुओं पर जांच पड़ताल होनी है। ये वह बिंदु हैं जो कि दो-तीन मार्च को प्रभारी सचिव नकाते शिवप्रसाद मदान की अध्यक्षता में हुई बैठक में निकलकर सामने आए थे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण था कि खुले में पानी छोडऩे वाली इकाइयों पर सख्ती की जाए। प्रशासन ने 15 मार्च को जो आंकड़े जारी किए उसके अनुसार 1100 इकाइयों का सर्वे किया गया था, जिसमें से खुले में प्रदूषित पानी छोडऩे पर 33 इकाइयों को बंद कराया गया था। 164 इकाइयों को मेमो नोटिस जारी किया गया था। मेमो नोटिस जारी 120 इकाईयों में निरीक्षण करने पर दूसरे माध्यम से छोड़ रहे पानी स्त्रोत को बंद कर दिया गया था। नियमों की पालना करने पर बंद इकाइयों को भी दोबारा चालू कराया गया है। प्रभारी सचिव की बैठक में जिन बिंदुओं पर कार्रवाई करने के लिए योजना बनाई गई थी, उनमें से अधिकांश पर अभी तक प्रशासन ने आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए हैं। सिर्फ खुले में पानी छोड़ते पकड़े जाने वाली इकाइयों पर ही कार्रवाई की जानकारी दी गई है।
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इन बिंदुओं पर करनी है मशक्कत
कितनी फैक्ट्रियों के अंदर ईटीपी लगे हुए हैं, उनमें कितना पानी शोधित होता है। उनका कितना स्लज निकलता है। ईटीपी वास्तव में सही रूप से काम कर रहे हैं या नहीं। औद्योगिक इकाइयों में बोरिंग की जांच, बोरिंग के पानी को हतोत्साहित करना, बिना अनुमति वाली बोरिंग पर कार्रवाई करना। बोरवेल सर्वे का उच्चाधिकारी द्वारा आकस्मिक सर्वे करना। इन बिंदुओं पर प्रशासन को अभी मशक्कत करनी है। तभी जाकर पानी का दुरुपयोग रुकेगा।
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अवैध रूप से चल रही बोरिंग
क्षेत्र में संचालित कुछ इकाइयों ने प्रदूषण मंडल से मिलकर कंसर्न टू ऑपरेट (सीटीओ) में भी गड़बड़ की है। बिना अनुमति के बोरिंग चल रहे हैं। सीटीओ सिर्फ उत्पादन शुरू करने के लिए एक जरूरी कागज बनकर रह गया है। मिलीभगत से नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। अधिकांश इकाइयों के अंदर चल रहे भूमिगत जल स्त्रोत के लिए अनुमति नहीं ली गई है। अगर इन बोरिंग की अनुमति और सीटीओ का मिलान हो तो हकीकत सामने आ जाएगी।

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