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भिवाड़ी

औद्योगिक इकाइयों के बिजली कनेक्शन अटके, 15 दिन से स्टॉक में नहीं सीटीपीटी

राजस्व खूब लेकिन जरूरी उपकरणों का भी अभाव

भिवाड़ीApr 05, 2024 / 08:08 pm

Dharmendra dixit

औद्योगिक इकाइयों के बिजली कनेक्शन अटके, 15 दिन से स्टॉक में नहीं सीटीपीटी

औद्योगिक इकाइयों के बिजली कनेक्शन अटके, 15 दिन से स्टॉक में नहीं सीटीपीटी


भिवाड़ी. हजारों करोड़ का राजस्व देने वाला भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र जरूरी उपकरण एवं सामान की कमी से जूझ रहा है। 15 दिन से करंट ट्रांसफार्मर पोटेंशियल ट्रांसफार्मर (सीटीपीटी) स्टॉक में नहीं है। जिसकी वजह से औद्योगिक इकाइयों के कनेक्शन नहीं हो रहे हैं। बिना बिजली कनेक्शन के औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन शुरू नहीं होगा। उत्पादन शुरू नहीं होगा तो उद्यमियों को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा। निगम को भी राजस्व नहीं मिलेगा। भिवाड़ी से निगम को प्रति वर्ष करीब 2500 करोड़ का बिल मिलता है। सीटीपीटी 50 केवीए से ऊपर के सभी कनेक्शन पर लगता है। सीटीपीटी बड़ी लाइन से आने वाले हाई वोल्टेज और हाई करंट को लो करंट, लो वोल्टेज में बदल देता है। जिससे मीटर सुरक्षित रहता, सीटीपीटी के बिना मीटर जल जाएगा। सीटीपीटी सेट इसलिए लगाया जाता है जिससे मीटरिंग नियमित एवं उचित रूप से काम करती रहे।
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उपभोक्ता के लिए जटिल प्रक्रिया
11 केवी पर लगने वाले सीटीपीटी की कीमत 35 हजार और 33 केवी लाइन पर लगने वाले की कीमत 1.10 लाख रुपए है। 33 केवी लाइन पर लगने वाले सीटीपीटी 15 दिन से निगम स्टॉक में नहीं है। सीटीपीटी नहीं होने से कई उपभोक्ताओं के कनेक्शन अटके हुए हैं। सीटीपीटी को उपभोक्ता और निगम दोनों ही कनेक्शन के लिए लगा सकते हैं। निगम के लगाने पर कोई प्रक्रिया नहीं है, उपभोक्ता को इसका शुल्क निगम में जमा कराना होता है। अगर उपभोक्ता लगाता है तो उसे पहले फैक्ट्री में जाकर खरीदना पड़ता है। साइट पर ही एक्सईएन स्तर के अधिकारी से निरीक्षण कराना होता है। इसके बाद सीटीएल लैब से निरीक्षण कराना होता है। एक्सईएन स्तर के अभियंता की निरीक्षण के लिए नियुक्ति भी निगम मुख्यालय जयपुर से होती है। इस तरह इस प्रक्रिया में निगम के अधिकारी पूरी रुचि दिखाएं तब भी एक महीने का समय लग जाता है। इस तरह निगम के स्टॉक से सीटीपीटी लगवाने में ही उपभोक्ता का हित होता है। अगर निगम के स्टॉक में सीटीपीटी नहीं है और उपभोक्ता को कनेक्शन चाहिए तो उसे एक महीने का समय तो वैसे ही लग जाएगा। इसके साथ ही उसकी बेवजह की भागदौड़ बढ़ जाएगी।
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अन्य उपकरणों का भी अभाव
भिवाड़ी में वृत कार्यालय तो संचालित हो रहा है लेकिन अभी तक यहां पर सामान के लिए सहायक भंडार नियंत्रक (एसीओएस) शाखा नहीं खुली है। इसकी वजह से सारा सामान अलवर से ही मंगाना पड़ता है। कई बार छोटे सामान के लिए भी अलवर जाना पड़ता है जिससे आपूर्ति का सिस्टम गड़बड़ हो जाता है। वृत कार्यालय खुलने के बाद अगर एसीओएस शाखा यहीं पर काम करने लगे तो आपूर्ति तंत्र मजबूत होगा।
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सीटीपीटी को लेकर कुछ उपभोक्ताओं ने जानकारी दी थी। इसके बाद मीटर शाखा के उच्चाधिकारियों से बात की है। उपभोक्ताओं को किसी भी हालत में परेशान नहीं होने दिया जाएगा।
एससी महावर, एक्सईएन, वितरण निगम

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