इस पर्व पर बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी उल्लासित और रिद्धि-सिद्ध के लाडले की भक्ति में चूर नजर आते हैं। बच्चों की टोलियां डंडे खनकाते हुए घर-घर पहुंचकर …‘डंडा चौथ भादुड़ी, दे दे मैया लाडूड़ी’ जैसे गीत गाते हुए श्रद्धालुओं से चौथ मांगते हैं। इधर घरों में भी नाना प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। गणेशजी के जन्मोत्सव पर गणेश पदयात्राएं भी पहुंचती हैं तो रास्तों में उनकी सेवा के लिए भंडारे लगाए जाते हैं। वैसे तो श्रीगणेशजी के हर क्षेत्र में मंदिर व पूजा स्थल है। मेले भी लगते हैं, पर विशेषकर नजदीकी जिले सवाईमाधोपुर के रणतभंवर किला स्थित मंदिर में विराजित श्रीगणेशजी के और जयपुर में मोती डूंगरी स्थित श्रीगणेशजी के मंदिर में श्रद्धालुओं की रेलमपेल रहती है। यहां लक्खी मेले के आयोजन होते हैं।
मंगलमूर्ति को गुड़-धानी और मोदक है प्रिय
बुद्धि व रिद्धि-सिद्ध के दाता मंगलमूर्ति श्रीगणेशजी को गुड़-धानी और मोदक अतिप्रिय है। गणेशजी के इनका भोग लगाने से वे प्रसन्न होते हैं। भक्त भी यह जानते हैं। इसलिए गणेश चौथ पर घर-घर में गुड़-धानी व मोदक बनाए जाते हैं। बाजारों में स्थित मिष्ठान भंडारों पर भी गुड़-धानी व मोतीचूर, बैसन, मावा, तिल, मूंग सहित नाना प्रकार के मोदकों (लड्डू) से थाल सजे नजर आ रहे हैं।
भिवाड़ी में भी रहेगी 10 दिन तक धूम
पुलिस जिला व औद्योगिक नगरी भिवाड़ी सहित क्षेत्र में गणेश महोत्सव का आगाज बुधवार को गणेश चतुर्थी से हुआ। गणेश चतुर्थी पर घर-घर में गणपति की पूजा की गई। साथ ही 10 दिन तक विभिन्न गली-मोहल्लों में गणेशोउत्सव का माहौल रहेगा। स्थानीय जन सहित यहां रह रहे मराठी परिवारों के साथ यहां बिहार के लोग भी गणपति को पंडाल में विराजित कर हर्ष-उल्लास से गणेशोत्सव मनाएंगे। मंदिर, पार्क और अन्य स्थलों पर भगवान गणेशजी की पूजा के लिए विशेष आयोजन होंगे। मूर्ति निर्माताओं ने भी इस बार बड़ी संख्या में गणेश प्रतिमाओं का निर्माण किया है। कोरोनाकाल के दो साल बाद इस बार खुलकर गणेश महोत्सव के आयोजन हो रहे हैं। सभी मूर्तियां बुकिंग हो चुकी है और भक्तजन ले भी गए। भगवान गणेश का विशेष शृंंगार के साथ भक्तजनों की ओर से प्रतिदिन भजन-कीर्तन किए जाएंगे। गणेश चतुर्थी पर गणेश प्रतिमाओं की स्थापना को लेकर शोभायात्राएं निकाली जाएगी तो 10 दिन बाद अणत चतुर्थदशी को इन प्रतिमाओं को जलाशयों में विसर्जन के लिए यात्राएं निकाली जाएगी और इसी के साथ गणेश महोत्सव का समापन भी हो जाएगा और फिर अगले वर्ष की गणेश चतुर्थी के आने का गणेश भक्तों को इंतजार रहेगा।