जनवरी में अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल ने उक्त प्रोजेक्ट में बदलाव करने के निर्देश दिए थे। उन्होंने टेंडर में 34 एमएलडी के एसटीपी की जगह कई स्थलों पर छोटे कम क्षमता के एसटीपी निर्माण का सुझाव दिया। उनके सुझाव को भी शामिल कर तकनीकि राय ली जा रही है। इस व्यवस्था से प्रोजेक्ट की लागत कम आने की संभावना है। फिलहाल टेंडर के अनुसार 34 एमएलडी का एसटीपी ही निर्मित होगा।
जमीन की वजह से अटका कामयोजना के दूसरे चरण में 200 करोड़ के सीवर प्रोजेक्ट का टेंडर सितंबर 2023 में खुला था। इसमें एक केंद्रीयकृत 34 एमएलडी एसटीपी का निर्माण और छूटे हुए क्षेत्र में सीवर लाइन बिछाई जानी है। इसके लिए एमएनआईटी के विशेषज्ञों ने रिपोर्ट दी, उसके आधार पर डीपीआर तैयार हुई। टेंडर हुआ और एक फर्म ने दस प्रतिशत कम दर पर टेंडर भी ले लिया। शुरूआत में भी एसटीपी के लिए बीडा से जमीन आवंटित नहीं होने की वजह से काम अटक गया था। बाद में नंगलिया और मिलकपुर गांव में सीवर लाइन का काम शुरू कराया गया। 24 जनवरी को विकसित भारत संकल्प यात्रा शिविर में भाग लेने आए अतिरिक्त मुख्य सचिव भिवाड़ी आए और उन्होंने विकास कार्यों की समीक्षा बैठक ली। इसमें इस प्रोजेक्ट को लेकर भी विमर्श हुआ। सचिव ने केंद्रीयकृत एसटीपी की जगह कम क्षमता के एसटीपी निर्माण कराने और पानी का उन्हीं क्षेत्र में उपयोग कराने संबंधी सुझाव दिया।
कई बार अटका तब हुआ टेंडरइस प्रोजेक्ट को लेकर मुख्यालय ने भी कई बार नगर परिषद अधिकारियों से कसरत कराई। टेंडर में तकनीकि कमियों को दूर कराया गया। शोधित पानी का निस्तारण कहां होगा, इस बिंदु की वजह से भी एक बार टेंडर को रोका गया। अब जमीन की वजह से मामला अटका हुआ है। उच्च स्तर पर अधिकारी संबंधित विभाग को जनहित का प्रोजेक्ट बताकर निशुल्क जमीन देने की मांग कर रहे हैं। क्योंकि नगर परिषद की वित्तीय स्थिति खराब है। नगर परिषद के पास इतना बजट नहीं है कि 59 करोड़ रुपए जमा कराकर जमीन खरीदी जा सके।
बीडा ने जमीन के लिए जो राशि मांगी है उसके लिए शासन स्तर पर मामला चल रहा है। वहीं से इस संबंध में निर्णय होगा। एसटीपी निर्माण होने से जलभराव की समस्या दूर होगी।रामकिशोर मेहता, आयुक्त, नगर परिषद