टेक्सटाइल सेक्टर में कपड़ों की छोटी बड़ी मिल में लाखों लोग रोज़गार पाते हैं। भीलवाड़ा में पिछले कई माह से मंदी का दौर बना है। इससे स्पिनिंग, विविंग व कपड़ा प्रोसेस उद्योग की दरों में भी कमी आई है। उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी के साथ महंगा कोयला, कॉटन के दाम में भारी उठापटक, केंद्र की टेक्सटाइल सेक्टर के लिए टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन स्कीम (टफ) का बंद होना। ग्लोबल डिमांड में कमी, चीन से कपड़े का आयात होने से कपड़ा इंडस्ट्री परेशान है।
चीन से खरीदने लगे माल
कपड़ा व्यापारियों का मानना है कि दो साल पहले चीन से भारत में कपडा आयात बंद था। जनवरी-फरवरी 2023 से भारतीय रेडीमेड गारमेन्ट वालों ने पुनः चीन से कपड़ा खरीदना प्रारम्भ कर दिया। इसका असर भीलवाड़ा टेक्सटाइल पर पड़ा है।
एक करोड़ से घटकर 20 लाख मीटर पहुंचा
कपड़ा व्यापारी अशोक खेरानजानी का कहना है कि भीलवाड़ा के लिए अफगानिस्तान बड़ा मार्केट था। प्रतिमाह एक करोड़ मीटर कपड़ा निर्यात हो रहा था। तालिबान का शासन आने के बाद भारत ने अफगान व्यापारियों को वीजा देने में सख्ती कर दी। अफगान व्यापारी चीन की ओर डाइवर्ट हो गए। वहां कपड़ा सस्ता मिलता है। भीलवाड़ा में प्रोसेसिंग दरें चीन के मुकाबले अधिक होने से कपड़ा महंगा मिलता है। अब भारत से हर माह 20 लाख मीटर कपड़ा अफगानिस्तान जा रहा है जबकि पहले एक करोड़ मीटर कपड़ा जाता था।
इजराइल व हमास युद्ध का असर
इजराइल व हमास युद्ध के कारण मिश्र, यूएई व अफ्रीकी देशों में निर्यात पर असर पड़ा है। अमेरिकन डॉलर के मुकाबले उनकी करेंसी का अवमूल्यन होने से वहां के व्यापारियों के लिए लागत बढ़ गई। ऐसे में इन देशों में आयात के लिए डॉलर की कमी आई है। अमरीका में बैंकों की ब्याज दर बढ़ने से विश्व बाजार के साथ भीलवाड़ा से कपड़े की मांग घटी है।
बांग्लादेश में धागे के निर्यात में तेजी-
भीलवाड़ा से बांग्लादेश में धागे के निर्यात में तो तेजी आई है। इसका मुख्य कारण बांग्लादेश में उद्योग का विस्तार हुआ है। ऐेसे में वहां भी कपड़ा उत्पादन में तेजी आई है। इससे कपड़ा उद्योग पर असर आया है।
इनका कहना है-
अफगानिस्तान में निर्यात घटा है। यूरोपीय देशों से मांग लगातार कम हो रही है। बांग्लादेश में भी कपड़ा मिलें लगने से निर्यात पर असर पड़ा है। कुछ माह बाद कपड़ा उद्योग में गति आएगी।
आरके जैन, महासचिव मेवाड़ चैम्बर ऑफ काॅमर्स