रफीक बताता है कि उसके ही साथ सरकारी विभाग में काम कर चुके सहकर्मी को उसने ब्याज पर चौदह लाख रुपए सूदखोरों से दिलवाए। साथी का गारंटर भी वही बना,लेकिन साथी के समय रहते एक भी रुपया नहीं चुकाने पर सूदखोरों ने उस पर ही शिकंजा कस दिया। सूदखोरों को रुपए चुकाने के लिए उसने सरकारी लोन लिया, यह राशि सूदखोरों को दे दी, ब्याज का भुगतान भी वह करते आ रहा है, इसके बावजूद सूदखोर प्रताडि़त कर रहे है। दिन में कई बार फोन कर बकाया राशि व ब्याज देने के लिए धमका रहे है।
रफीक की पीड़ा है कि वह तहसील कोर्ट के सम्मन तामिल करवाता है, कई बार उसके सम्मन के कागजात भी छीनने की कोशिश की गई। सूदखोरों के भय से वह कई बार तहसील पर काम करने ही नहीं गया और दूर गांव में छिपा रहा। मोबाइल की घंटी बजते ही अनचाहे भय से कांप उठता है। उसका कहना है कि जिस साथी की मदद के लिए वह गारंटर बना वो भी अब उसकी मदद नहीं कर रहा है।
रफीक ने बताया कि पुलिस अधीक्षक व संबधित पुलिस थानों को भी वह रिपोर्ट दे चुका है। हाल ही 7 जून 2021 को जिला कलक्टर के नाम भी ज्ञापन दे कर सांगानेर रोड क्षेत्र के सूदखोरों से मुक्ति दिलाने व उसकी सुरक्षा करने की मांग की है। राजनीतिक दलों से भी उसने मदद की गुहार की है।