मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पूर्ववर्ती शासन काल में पूर्व नगर विकास न्यास अध्यक्ष रामपाल शर्मा ने वर्ष 2013 में शहर एवं जिले की सबसे बड़ी आवासीय कॉलोनी नेहरू विहार का खांका खिंचा था, यहां सेक्टर 12 से 18 तक के सात सेक्टरों में कुल 2750 मकानों का निर्माण ईडब्ल्यूएस, एलआईजी श्रेणी में हुआ और कॉलोनी में कॉनर व मुख्य मार्गों पर भूखण्डों का आवंटन भी हुआ। निर्माण कार्य शुरू होते ही यह कॉलोनी विवाद में आ गई, सत्ता में बदलाव के बाद फरवरी 2015 में कॉलोनी के नक्शे का स्वरूप ही बदल गया और निर्माण कार्य सेक्टरों में विभाजित होने से 38 ठेकेदार हो गए। यहां प्रथम चरण में 15789 मकानों का निर्माण हुआ और उनका आवंटन बढ़ी हुई आरक्षित दर पर हुआ। कॉलोनी के वर्कऑर्डर की राशि 157.87 करोड़ रुपए तक पहुंच गई।
जयपुर की कंपनी संभाले है व्यवस्था नगर विकास न्यास ने समूची कॉलोनी में बिजली व्यवस्था की जिम्मेदारी जयपुर की कम्पनी एमएम बदर्स को दे रखी है। यहां पर ग्यारह करोड़ रुपए खर्च हो चुके है। यहां कॉलोनी में भूमिगत केबल बिछाई गई है। प्रत्येक छह आवास के बीच एक- एक फ्यूज पैनल लगाए है। जीएसएस भी यहां स्थापित है। यहां कॉलोनी में दो वर्ष में ढाई हजार आवास में सिर्फ 150 परिवार बसे है।
खराब व कटने लगी केबलें, खुले में पैनल जानकारों का कहना है कि यहां केबलों को पाइप के सहारे के बजाए ऐसे ही गड्डे खोद कर बिछा दी गई। ऐसे में कई स्थानों पर केबल खराब हो चुकी है। नालियों के निर्माण के दौरान जेसीबी चालक की लापरवाही से कई हिस्सों में भूमिगत केबलें कट चुकी है। खानापूर्ति की मरम्मत से इनमें बारिश के मौसम में करंट दौड़ रहा है। कॉलोनी में भूमिगत केबल में अर्थ वायर ही अधिकांश हिस्सों में नहीं है। फ्यूज पैनल खुले में है और झाडियों से गिरे हुए है। इनमें भी करंट दौड़ता है। कई आवासों के बाहर भूमिगत केबलें भी खुले में है।
सिक्योर भी बेखबर बारिश से यहां खतरा कही अधिक बढ़ गया है। यहां जीएसएस है, लेकिन स्टाफ नहीं है। न्यास ने अजमेर डिस्कॉम को अभी तक कॉलोनी पूरी तरह से रखरखाव के लिए स्थानांतरित नहीं की, ऐसे में शहर की बिजली आपूर्ति एवं रखरखाव की व्यवस्था संभाल रही सिक्योर मीटर्स की सूची में यह कॉलोनी शामिल नहीं है। इसके बावजूद मीटर्स के दस्ते यहां शिकायत पर दौड़ रहे है।
सुविधाओं का टोटा, कई आवंटन निरस्त नेहरू विहार में सन्नाटा पसरा हुआ है, यहां बिजली व पानी की मूलभूत सुविधाएं नहीं जुटने से अधिकांश आवंटियों ने आवासों में रहवास नहीं किया है। आवास सूने पड़े है। कंटीली झाडियों का जंगल फैला हुआ है। यहां सूने मकानों में आवारा तत्वों का जमावड़ा रहता है। तीनों पार्क उजाड़ है और चारदीवारी टूटी हुई है। आवंटियों का आरोप है कि यहां निर्माण कार्य की गुणवत्ता ठीक नहीं है, कईयों में दीवारें ही पोली हो गई है। एक साल पूर्व बनी नालियां भी कई हिस्सों में टूट चुकी है। सुविधाएं नहीं होने से करीब डेढ़ हजार आवंटियों ने तो पूरी किस्तें ही जमा नहीं कराई है। ऐसे में कई आवंटन निरस्त हो चुके है। न्यास अधिकारी भी कॉलोनी की सुध नहीं ले रहे है।
लापरवाही से कट रही केबलें नेहरू विहार को छह माह पूर्व अजमेर डिस्कॉम को स्थानांतरित कर दिया है, लेकिन कॉलोनी की बिजली की रखरखाव व्यवस्था अभी दो साल के लिए अनुबंधित कंपनी के पास है, केबल जेसीबी चालकों की लापरवाही से कटी है, संबधित ठेकेदारों को नोटिस दिए गए है। लोगों के बिजली चोरी करने की वजह से कई फ्फ्यूज पैनल खुले पड़े है।
तेजमल शर्मा, सहायक अभियंता (विद्युत) नगर विकास न्यास