फाइलों में लगी ब्यावर व निम्बाहेड़ा की पर्चियां खनिज विभाग के लेखाधिकारी तिलकेश्वर प्रसाद धूपड का कहना है कि सहायक खनिज अभियंता सुरेश अग्रवाल से पहले ब्यावर व निम्बाहेड़ा की रॉयल्टी पर्ची लगी असेसमेंट फाइल को अधिकारी पास करते आ रहे थे। भीलवाड़ा में सीबीआई की एंट्री के बाद से ही फाइलों को देखा जा रहा। इसके कारण आठ से दस फाइलों को रोक रखा है। धूपड़ का कहना है कि रॉयल्टी पर्ची राजस्थान के किसी भी जिले से कहीं भी लगाई जा सकती है। इस पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है। सहायक खनिज अभियन्ता अग्रवाल कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे। खनिज अभियन्ताचंदनकुमार छुट्टी पर होने से उनका चार्ज भी अग्रवाल के पास है।
एक-दो दिन में भेंजेगे दस्तावेज सहायक खनिज अभियन्ता अग्रवाल की ओर से ब्यावर खनिज विभाग से मांगे दस्तावेज अब सोमवार को मिलने की संभावना है। ब्यावर के खनिज अभियन्ता जगदीश चन्द्रमेरावत ने पत्रिका को बताया कि अगस्त 2023 को बरसात में खराब हुए दस्तावेज को तैयार कर सोमवार तक भीलवाड़ा भेज दिया जाएगा।
विभाग के बाहर होता है खेल विभाग के बाहर कुछ दलालों का डेरा रहता है। दिनभर खनिज संचालकों से मिलते है। बजरी के मामले में भी यहीं सूचना देते है। दलालों का दखल विभाग की हर शाखा में है। मजेदार बात तो यह कि वह चाहे जिसकी फाइल बाहर ला सकते है। दलालों से अन्य कर्मचारी भी मिले है। कर्मचारियों की बैठक भी शाम को इनके साथ रहती है। दिनभर का हिसाब भी शाम को एक टेबल पर होता है। दलालों के दखल को उच्चाधिकारी भी कुछ नहीं कर पा रहे। बाबू भी इनके बिना कोई काम किसी भी फाइल में नहीं करते है।
यह है मामला ठेकेदार निर्माण कार्य पूरा करने के बाद फाइल खनिज विभाग में पेश करता है। निर्माण के अनुसार जो मिनरल काम में आता है, उसकी रॉयल्टी पर्चियां लगाता है। रॉयल्टी पर्ची नहीं होने पर खनिज अधिकारी ठेकेदार से निम्बाहेड़ा या ब्यावर से रॉयल्टी पर्ची मंगवाते है। पर्ची लगाकार रॉयल्टी असेसमेंट करवाते है। खनिज विभाग को पूरी रॉयल्टी नहीं मिलती है वही कर्मचारी इसका फायदा उठा रहे है।