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भीलवाड़ा

पराए कंधों के सहारे टिकी तीसरी आंख से नजर

शहर पर तीसरी आंख से नजर रखने के लिए परायों के सहारे ही चलना पड़ रहा है। सुनने में आपको अजीब लग रहा है, लेकिन शहर में अभय कमाण्ड योजना के तहत लगाए गए सीसी टीवी कैमरों के साथ कुछ एेसा ही हो रहा। इसका कारण फुटेज की रिकॉर्डिंग है। जरूरत पड़ने पर शहर में लगे कैमरों की रिकॉर्डिंग लेने के लिए पुलिस को अजमेर पर निर्भर रहना पड़ता है।

भीलवाड़ाJun 30, 2021 / 09:31 am

Akash Mathur

Eyes from the third eye resting on other shoulders

Eyes from the third eye resting on other shoulders

भीलवाड़ा. शहर पर तीसरी आंख से नजर रखने के लिए परायों के सहारे ही चलना पड़ रहा है। सुनने में आपको अजीब लग रहा है, लेकिन शहर में अभय कमाण्ड योजना के तहत लगाए गए सीसी टीवी कैमरों के साथ कुछ एेसा ही हो रहा। इसका कारण फुटेज की रिकॉर्डिंग है। जरूरत पड़ने पर शहर में लगे कैमरों की रिकॉर्डिंग लेने के लिए पुलिस को अजमेर पर निर्भर रहना पड़ता है। इसका कारण संभाग मुख्यालय पर ही अभय कमाण्ड का कंट्रोल रूम बना होना है। इस कारण पुलिस को वारदात के बाद रिकॉर्डिंग हांसिल करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है। इसके लिए पहले उनसे पत्र व्यवहार किया जाता है। फिर अधिकारियों से मिन्नतों के बाद रिकॉर्डिंग हासिल की जाती है। भीलवाड़ा नियंत्रण कक्ष परिसर में बने अभय कमाण्ड के कंट्रोल रूप पर महज कैमरों की रिकॉर्डिंग देखने की ही व्यवस्था है। इस समय शहर पर तीसरी आंख से नजर रखने के लिए अब तक १७८ कैमरे लग चुके है, जिसमें १७६ कैमरे चालू है। दो कैमरे इस समय बंद पड़े है।
प्रोपर्टी व्यवसायी पर हमले में खुल चुकी पोल

शहर में लगे सीसी कैमरों के काम करने की पोल हाल ही में प्रताप टॉकिज के निकट प्रोपर्टी व्यवसायी दिलीप लाहोटी पर दिनदहाड़े हुए हमले में खुल चुकी है। हमले के बाद पुलिस आरोपियों की पहचान के लिए कंट्रोल स्थित अभय कमाण्ड सेंटर पर पहुंची। पता चला कि जिस समय वारदात हुई, उस समय प्रताप टॉकिज के आसपास लगे कैमरे चालू ही नहीं थे। उस समय की रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं होने से पुलिस अधिकारियों को निराशा हाथ लगी।
छह माह में पकड़ी योजना ने गति
केन्द्रीय गृह मंत्रालय की अभय कमाण्ड योजना के तहत विभिन्न विभागों की साझा कार्ययोजना के तहत शहर में कैमरे लगाने का काम शुरू किया। मई-२०१८ में इसकी शुरुआत हुई थी। कम्पनी ने पुलिस व प्रशासन की मदद से २६५ लोकेशन तय की थी। शहर में १३४ लोकेशन पर सीसी पोल लगाए गए। कम्पनी को ६४७ कैमरे लगाने है। इसमें १७८ ही लग पाए है। शहर में फरवरी २०१९ से सीसी कैमरे लगाने का काम ठप पड़ा था। जनवरी २०२१ तक महज ४० कैमरे ही लग पाए थे। अब कैमरे लगाने के काम ने गति पकड़ी और यह संख्या १७८ तक पहुंच गई।
बिजली गुल, कैमरे बंद, सीवरेज भी बनी अड़चन
शहर के प्रमुख चौराहों, पर्यटक स्थल, धर्मस्थलों पर लगे सीसी कैमरों से नजर रखने के लिए सबसे बड़ी बाधा बिजली है। शहर में किसी स्थान पर बिजली गुल हुई नहीं कि वहां लगे कैमरे बंद हो जाते है। बिजली आने पर कैमरे चालू होते है। इसके अलावा शहर में चल रहे सीवरेज लाइन का कार्य के कारण भी कैमरों नजर रखने में परेशानी बना है। भूमिगत पाइप डालने के दौरान सीसी कैमरे के तार टूट जाते है। इससे कमाण्ड में देखरेख में लगे कर्मचारियों को दौड़भाग करनी पड़ती है।
इनका कहना है
शहर में लगे सीसी कैमरे की रिकॉर्डिंग की जरूरत होने पर अजमेर पर निर्भर रहना पड़ता है। यहां केवल पुलिस अधिकारी रिकॉर्डिंग देख सकते है। अजमेर से रिकॉर्डिंग मंगवाने के लिए पत्र व्यवहार करना पड़ता है। वहीं बिजली कटौती भी कैमरे से नजर रखने में बाधा है। बिजली जाते ही उस इलाके में लगे कैमरे बंद हो जाते है।
– उमेश चौहान, नेटवर्क इंचार्ज, अभय कमाण्ड योजना

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