कड़ाह की सुरक्षा कर रही महिलाएं व भाभियां रंगीन पानी चुरा रहे पुरुषों व देवरों पर कोड़े बरसा रही थी। महिलाओं व पुरुषों के बीच कश्मकश को देखने बड़ी संख्या में भीलवाड़ावासी जुटे। करीब तीन घंटे चली कोड़ामार होली के दौरान कई बार कड़ाह भरा गया। इस दौरान क्षेत्र की दुकानें बंद रहीं। इससे पहले शहर के सर्राफा बाजार में बड़े मंदिर के पास जिले भर के जीनगर समाज के लोग एकत्र हुए। पुलिस ने भी पुख्ता इंतजाम कर रखे थे।
अटूट रिश्ता दर्शाता
जीनगर समाज गुलमण्डी अध्यक्ष कैलाश सांखला ने बताया कि मेवाड़ की दो सदी पुरानी परंपरा में केवल जीनगर समाज के पुरुष-महिलाएं ही भाग लेती हैं। कोड़ामार होली धुलंडी के 13वें दिन रंगतेरस को खेली जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण और देवर-भाभी के अटूट रिश्ते को दर्शाना है। जिले भर से समाज की महिलाएं ढोल-नगाड़ों के साथ सर्राफा बाजार पहुंची। समाज के बंधुओं ने हंसी-ठिठोली से स्वागत किया। पुरुष या देवर कड़ाव में भरा रंग महिला या भाभियों पर डालते हैं। महिलाएं उनसे बचने के लिए कपड़े से बने कोड़े मारती है।