भीलवाड़ा टेक्सटाइल उद्योग अन्दर से हुआ खोखला
मांग है न पैसा, बिजली व ब्याज दर की मारअन्य राज्यों से व्यापारी आने से कतरा रहे कि कहीं १४ दिन से क्वांरटीन तो नहीं कर देंगेपांच हजार से अधिक लूमें हो गई बन्द, शेष में १२ घंटे काम
Bhilwara textile industry hollow inside in bhilwara
भीलवाड़ा . कोरोना संक्रमण के चलते भीलवाड़ा का टेक्सटाइल उद्योग अन्दर से पूरी तरह से खोखला हो चुका है। हल्की से हवा के झोखे के साथ ताश के पत्तों की तरह ढहने वाला है। स्थिति यह है कि कपड़े की मांग है ना ही उद्यमियों के पास पैसा है। उधर, बिजली के बिल भरने व बैंक के ब्याज की किश्ते भरने के जंझट से पूरी तरह से उद्योग चरमरा गया है। स्थिति यह है कि जैसे तैसे बैंक की किश्ते निकालने या फिर सोलर बिजली के यूनिट लैप्स न हो जाए इसके कारण उद्योगों को खिंच रहे है।
भीलवाड़ा टेक्सटाइल उद्योग कोरोना व आर्थिक मंदी से उभरने का प्रयास कर रही है, लेकिन कोरोना को लेकर अब भी अन्य राज्यों की स्थिति ठीक नहीं है। राजस्थान में व्यापारी अपने आप को सुरक्षित महसूस तो कर रहे है, लेकिन अन्य राज्यों में जाने से कतरा रहे है। ऐसे में टेक्सटाइल उद्योग एक बार फिर से गड़बड़ाने लगा है। संभावना जताई जा रही है कि यही स्थिति रही तो जल्द ही सभी उद्योगों के ताले लग जाएंगे।
दो माह तक बन्द रहे थे उद्योग
कोरोना संक्रमण का पहला रोगी आने के साथ ही भीलवाड़ा का टेक्सटाइल उद्योग २० मार्च से ही लॉकडाउन हो गया था। जो अगले दो माह तक पूर्ण रूप से बन्द रहा। कफ्र्यू समाप्त होने के साथ ही उद्योगों में फिर से काम-काज शुरू हो गया था। निर्यात के आर्डर तक मिल रहे थे। लेकिन इनमें भी 40 से 50 प्रतिशत ही उत्पादन हो रहा है। उद्यमियों की माने तो कपड़े का उत्पादन तो हो रहा है। लेकिन उसका कोई खरीदार नहीं है। निर्यात के आर्डर भी अब तो निरस्त होने लगे है या फिर बुक माल को एक से दूसरे व्यापारी को बेचने में लगे है। इसके अलावा देश की बड़ी-बड़ी कपड़ा मंडी जिनमें सूरत, मुम्बई, दिल्ली, अहमदाबाद, कानपुर, कोलकत्ता, भिवण्डी सहित अन्य मण्डियों में कामकाज न के बराबर चल रहा है। कई राज्यों में काम बन्द पड़ा है। भीलवाड़ा में भी लगभग १५ अरब का कपड़ा पाइप लाइन में है लेकिन उसके खरीददार नहीं मिल पा रहे है और न ही पहले बेचे जा चुके कपड़े का भुगतान मिल रहा है। ऐसे में फैक्ट्री मालिकों के सामने संकट बढ़ता जा रहा है।
स्पिनिंग प्लांट बन्द होने के कगार पर
एक स्पिनिंग उद्यमी का कहना है कि देश में अभी स्पिनिंग उद्योग की स्थिति ठीक नहीं है। दाम कम करने के बाद भी धागे की मांग नहीं है जो पहले धागा ले जा चुका है वह भी राशि देने को तैयार नहीं है। व्यापारी का कहना है कि है कि पहले का कपड़ा ही स्टॉक में पड़ा है फिर बनाकर क्या करें। ऐसे में स्पिनिंग में जुलाई के प्रथम पखवाड़े में स्पिनिंग का उत्पादन ५० प्रतिशत से घटाकर २० प्रतिशत तक आ जाएगा। या कुछ बन्द होने के कगार पर है जो बन्द हो जाएंगे।
प्रोसेस हाउस में काम बन्द!
भीलवाड़ा में १९ प्रोसेस हाउस है। इनमें से कुछ स्वयं का कपड़ा बनाकर प्रोसेस कर रहे है। जबकि अन्य प्रोसेस में काम नहीं मिल रहा है। सप्ताह में तीन दिन बन्द रखना पड़ रहा है। एक प्रोसेस हाउस संचालक कहना है कि टेक्सटाइल उद्योग अन्दर से पूरी तरह से खोखला हो चुका है। इसे नहीं बचाया गया तो अगले १५ दिन में कई उद्योग दीपावली क के लिए बन्द हो जाएंगे।
अन्य राज्यों में आ सकते न जा सकते व्यापारी
कोरोना को लेकर अब भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। अन्य राज्यों के मुकाबले राजस्थान अन्य राज्यों से कई बेहत्तर स्थिति में है। अन्य राज्यों में व्यापार करने के लिए जाते है तो १४ दिन के लिए क्वारंटीन कर रहे है। ऐसे में बाहर से न कोई आ रहा है और ना ही कोई जा पा रहा है। इसके अलावा रेडिमेड गारमेन्ट उद्योग बन्द पड़े है। इसके कारण भी आर्डर नहीं मिल रहे है। रेपीयर, एयरजेट पर काम नहीं हो रहा है। जबकि सल्जर पर थोड़ा बहुंत ही काम चल रहा है।
संजय पेडीवाल, अध्यक्ष सिन्थेटिक्स विविंग मिल्स एसोसिएशन
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