ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज विभाग ने पंचायतीराज अनिधियम 1994 की धारा 101 के तहत पंचायतीराज संस्थाओं की सीमाओं में परिवर्तन को लेकर कलक्टरों को दिशा-निर्देश दिए। शासन सचिव एवं आयुक्त डॉ. जोगाराम के अनुसार 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन, पुनर्सीमांकन और नवसृजन के मानदंड तय किए हैं। इसमें पंचायतों के लिए न्यूनतम 3 हजार और अधिकतम साढ़े पांच हजार आबादी होगी। अधिसूचित अनुसूचित क्षेत्रों में आबादी दो से चार हजार रखेंगे। किसी गांव के निवासियों की मांग और प्रशासनिक दृष्टि से मौजूदा से दूसरी पंचायत में शामिल किया जा सकेगा, लेकिन दूरी पंचायत मुख्यालय से छह किमी से ज्यादा नहीं होगी। दूरी निर्धारण में कलक्टर प्रशासनिक एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण से निर्णय कर सकेंगे, लेकिन किसी भी राजस्व ग्राम को विभाजित कर अलग-अलग पंचायतों नहीं किया जाएगा। इसी तरह नवसृजित या पुनर्गठित पंचायत एक ही विधानसभा क्षेत्र में होगी।
25 पंचायतों की होगी पंचायत समिति पंचायत समितियों में 40 या इससे ज्यादा पंचायतें या 2 लाख या इससे अधिक आबादी होने पर पुनर्गठन के दायरे में आएंगे। नवसृजन में न्यूनतम 25 ग्राम पंचायतें शामिल होंगी। किसी पंचायत समिति में 42 पंचायतें हैं तो पुनर्गठन में 25 एक में शामिल होने पर बची 17 पंचायतों के साथ करीबी दूसरी पंचायत समिति की आठ पंचायतें जोड़ी जा सकेंगी। यह संभव नहीं होने पर भी ब्लॉक 25 से कम पंचायतों का बनेगा। अनुसूचित क्षेत्रों में मानदंड में आबादी के लिहाज से थोड़ी शिथिलता यानी डेढ़ लाख तक जनसंख्या रह सकेगी, लेकिन नवसृजित पंचायत समिति में न्यूनतम 20 पंचायतें सम्मिलित होंगी। जन सुविधा और प्रशासनिक दृष्टि से नवसृजित या पुनर्गठित पंचायत समिति में नजदीकी पंचायतों को सम्मिलित किया जा सकेगा, लेकिन एक ग्राम पंचायत विभाजित कर दो पंचायत समितियों में नहीं रखा जाएगा।
यह रहेगा टाइम टेबल 20 जनवरी से 18 फरवरी तक कलक्टर की ओर से नई पंचायतों एवं पंचायत समितियों के प्रस्ताव तैयार होंगे। इसके बाद प्रकाशन कर आपत्तियां मांगी जाएंगी। 21 मार्च तक प्राप्त आपत्तियों का 23 मार्च से दस दिन में निस्तारण किया जाएगा। फिर समेकित प्रस्ताव 3 से 15 अप्रेल के बीच जिलों से पंचायतीराज विभाग को भेजे जाएंगे।