इसके चलते बजरी खनन का काम शुरू नहीं हो पा रहा। लीज नहीं होने से अवैध खनन को भी बढ़ावा मिल रहा है। राज्य सरकार ने आम लोगों को सस्ती दर पर बजरी मुहैया कराने का जो उद्देश्य था। वह भी सफल नहीं हो पा रहा। जबकि सरकार ने जिले में बजरी खनन पट्टों के तीन मंशा पत्र (एलओआइ) जारी कर दिए थे। सरकार बजरी माफिया को खत्म करने के लिए सरकारी एजेंसी को लीज दे रही है।
तारीख में किया परिवर्तन
आरएसएमएमएल ने इन तीनों लीजों से बजरी के खनन और निर्धारित स्टॉक यार्ड तक परिवहन के कार्य के लिए टेंडर जारी किया। ठेकेदार के नहीं आने से फिर इसकी तारीख बढ़ाकर 25 सितंबर की है। टेंडर खोलने की तारीख 26 सितंबर है। इसी प्रकार बजरी खदानों के स्टॉक यार्ड से ट्रकों, टिपरों आदि में बजरी का लोडिंग के लिए टेंडर की अवधि 26 सितंबर तक बढ़ाई है। टेंडर 27 सितंबर को खोले जाने हैं। सरकार ने आरएसएमएमएल को भीलवाड़ा जिले की सवाईपुर के सोपुरा, अडसीपुरा, आकोला में 76.77 हैक्टेयर एवं आकोला में 96.99 हैक्टेयर और आकोला में 67.70 हैक्टेयर राजकीय भूमि गैर मुमकिन नदी के खनिज बजरी के ये प्लॉट 29 मई 2024 को आवंटित किए। आवंटन बजरी खनन पर रॉयल्टी के बराबर अतिरिक्त प्रीमियम के आधार पर दिए। इनसे बजरी निकालने के लिए विभाग ने टेंडर किया। इसमें किसी ठेकेदार ने हिस्सा नहीं लिया है।
खनन व्यवसायियों का विरोध
खनन व्यवसाय से जुड़े उद्यमियों ने विरोध किया कि सरकार ने आरएसएमएमएल को रॉयल्टी के बराबर अतिरिक्त प्रीमियम के आधार पर तीन लीज बजरी की दी। लेकिन विभाग ने टेंडर कर ठेकेदार मांगे। ऐसे में बजरी और महंगी मिलेगी। विभाग 18% सर्विस टेक्स भी वसूल करेगा। अधिकारियों का दबाब होने के कारण कोई ठेकेदार सामने नहीं आ रहा। तीनों लीज की पर्यावरण स्वीकृति भी नहीं मिली है। खनिज विभाग का मानना है, खनन अगले साल जनवरी तक हो सकता है।