दस साल बाद मेवाड़ में शांतिदूत का आगमन
राजस्थान से है गहरा नाता. आचार्य महाश्रमण
दस साल बाद मेवाड़ में शांतिदूत का आगमन
भीलवाड़ा।
अहिंसा यात्रा प्रणेता परमपूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी का आज राजस्थान की पूण्य धरा पर मंगल प्रवेश हुआ। अपनी अहिंसा यात्रा द्वारा देश.विदेश में सद्भावनाए नैतिकता एवं नशामुक्ति का संदेश देते हुए आचार्यवर लगभग 7 वर्षों पश्चात राजस्थान एवं 10 वर्षों पश्चात मेवाड़ में पधारे हैं। खासकर राजस्थान एवं देश भर से बड़ी संख्या में श्रावक समाज आज राजस्थान सीमा पर शांतिदूत का स्वागत करने उपस्थित था। प्रात: नयागांव से विहार कर साधु.साध्वीयों के साथ जैसे ही 7 बजकर 21 मिनट पर गुरुदेव ने राजस्थान सीमा में प्रवेश किया पूरा वातावरण जय जय ज्योतिचरण.जय जय महाश्रमण के नारों से गुंजायमान हो उठा। यह पहली बार है जब इतने लंबे अरसे तक राजस्थान के सपूत पूज्य श्री महाश्रमण जी का राजस्थान से इतना पृथक रहने का काम पड़ा।
इस अवसर पर आचार्य का स्वागत करने राजस्थान राज्य के कैबिनेट मंत्री श्री उदयलाल आंजनाए माण्डल विधायक श्री रामलाल जाटए चित्तौडग़ढ़ के सांसद श्री सीण्पीण् जोशीए पूर्व विधायक श्रीचन्द्र कृपलानीए पूर्व विधायक श्री अशोक नवलखाए नींम्बाहेड़ा नगरपालिका चेयरमैन श्री सुभाष जी शारदाए निंबाहेड़ा के डीण्वाईण्एसण्पीण् श्री सुभाषचंद्रए एचण्एसण्ओण् हरेंद्र सिंह सोढाए तहसीलदार सीमा खेतानए जेण्केण् सिमेंट के अध्यक्ष आरण्बीण्एनण् त्रिपाठी आदि अनेक राजनीतिकए प्रशासनिकए सामाजिक विशिष्ट जनों ने शांतिदूत का स्वागत किया। निम्बाहेड़ा का भी सकल जैन एवं जैनेत्तर समाज स्थान.स्थान पर खड़े होकर आचार्यवर का अभिनंदन कर रहा था। लगभग 13 किमीण् का विहार कर गुरुदेव एक दिवसीय प्रवास हेतु यदुपति सिंघानिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में पधारे।
मंगल प्रवचन में गुरुदेव ने कहा.भारत में सदा से आध्यात्मिक संस्कृति रही है। प्राचीन काल में कितने ऋषिए महर्षि हुए हैं और आज भी हैं। राजस्थान भी संतों कीए ऋषियों की भूमि है। आज यहां आना हुआ है। हमारे तेरापंथ का जन्मस्थल यह राजस्थान मेवाड़ है। तेरापंथ का तो सदा से राजस्थान से गहरा नाता है। तेरापंथ के 9 पूर्वाचार्य राजस्थान से ही थे। आज भी राजस्थान के कितने ही संत.सतियां हमारे दीक्षित है। राजस्थानी भाषा में कितने ही ग्रंथ भी हमारे पूर्वाचार्यों द्वारा लिखे गए हैं। आज इतनी सूदूर यात्रा बाद हमारा पुन: राजस्थान में आगमन हुआ है। यहां की जनता में सद्भावनाए इमानदारी जैसे अच्छे गुण आएं। सभी में सदाचार की भावना रहे तो जीवन में मंगल हो सकता है।
पूज्यवर ने आगे कहा कि. यह जीवन अनित्य है। व्यक्ति को अपना समय प्रमाद में व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। यह मानव जीवन अनित्य हैं परंतु आत्मा अमर है। आत्मा हमारी जन्म.मरण करती रहती है। व्यक्ति अपनी आत्मा का हित सोचे। और सब तो राही है पर आत्मा स्थायी है। व्यक्ति अपना समय धर्माराधना में बिताकर सार्थक करना चाहिए।
साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि. आचार्यश्री जहां पधारते हैं ज्ञान का आलोक बिखेरते हैं। आचार्यश्री के आगमन से राजस्थान में रूपांतरण की एक नई लहर आएगी। आचार्यप्रवर के संदेशों को अपने जीवन मेंए आचरण में उतारें तो सच्चा स्वागत हो सकता है।
कार्यक्रम में अभिव्यक्ति देते हुए मंत्री श्री उदयलाल जी अंजना ने कहा कि यह मेरा परम सौभाग्य है जो आप जैसे महापुरुष का मुझे स्वागत करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। आपने अपने सदाचार के संदेश जन जन तक पहुंचाएं हैं। आपके आगमन से राजस्थान की जनता में सद्भावनाए भाईचारा एवं मानवता की भावना बढ़ेगी यह मुझे विश्वास है।
वक्तव्य के क्रम में वर्धमान स्थानकवासी संघ के आनंद सालेचाए खतरगच्छ संघ के सुरेंद्र चौधरीए त्रिस्तुतिक संघ के शेरासिंह पारखए तपागच्छ के अभय गारोलीए दिगंबर जैन समाज से मनोज सोनीए एण्टीण्बीण्एफण् के कमल नाहरए विजयगच्छ के प्रकाश बड़ालाए वंडर सीमेंट के कमर्शियल हेड नितिन जैनए व्यापार संघ के शांतिलाल मारुए संयोजक बाबूलाल सिंघीए भीलवाड़ा चातुर्मास व्यवस्था समिति अध्यक्ष प्रकाश सुतरिया आदि कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे। महिला मंडल ने गीत का संगान किया।
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