17 साल बाद रेलवे ओवरब्रिज से आचार्य गुजरे, नाम हुआ महाश्रमण सेतु
भीलवाड़ा की ओर विहार, 18 को चातुर्मास के लिए मंगल प्रवेश
17 साल बाद रेलवे ओवरब्रिज से आचार्य गुजरे, नाम हुआ महाश्रमण सेतु
भीलवाड़ा।
तेरापंथ जैन धर्म संघ के ११वें आचार्य महाश्रमण मंगलवार को जब शहर के बीचों-बीच स्थित एक मात्र रेलवे ओवर ब्रिज पर से गुजरे तो इसका नाम आचार्य महाश्रमण सेतु हो गया। सत्रह साल पहले जब आचार्य यहां आए थे, तब यह पुल नहीं बना था। आचार्य बनने के बाद पहली बार चित्तौड़गढ़ आए आचार्य महाश्रमण के प्रवास की स्मृति को चिर स्थाई बनाए रखने के लिए नगर परिषद ने इस आरोबी का शांतिदूत आचार्य महाश्रमण सेतु नामकरण करने का निर्णय लिया। इसी के तहत मंगलवार सुबह भीलवाड़ा की ओर विहार करते हुए आचार्य महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ इस पुल से गुजरे तो उनकी मौजूदगी में नामकरण पट्टिका का लोकार्पण हुआ। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र सिंह जाड़ावत, सभापति संदीप शर्मा, आयुक्त रिंकल गुप्ता समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। कार्यक्रम में हाथी-घोड़े और बैण्ड आकर्षण का केन्द्र रहे। विभिन्न समाजों और समुदायों के लोगों ने आचार्य का स्वागत और अभिनंदन किया। कई श्रावक उनके सामने दण्डवत भी हो गए। इससे पूर्व आचार्य महाश्रमण ने सुबह 6.30 बजे सेंती स्थित शांति भवन से भीलवाड़ा के लिए विहार किया। पूरे रास्ते के दौरान श्रद्धालुओं ने जय घोष करते वंदन अभिनंदन किया गया ।
तो पहुंच गए नेकी की दीवार के सामने
रेलवे ओवर ब्रिज से कलक्ट्रेट चौराहे की ओर आते समय रास्ते में बनी नेकी की दीवार नजर आने पर आचार्य महाश्रमण उसके सामने रूक गए। यहां पर एटीबीएफ के संस्थापक अध्यक्ष सुनील ढिलीवाल ने इस दीवार के निर्माण और उद्देश्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। रास्ते में आचार्य ने कई श्रावकों के घर एवं दुकानों के बाहर से गुजरते समय मांगलिक प्रदान किया
एसडीएम ने की अगवानी
चित्तौडग़ढ़ से पुठोली की ओर जाते समय गंगरार उपखण्ड की सीमा में पहुंचने पर एसडीएम मुकेश कुमार मीणा एवं थाना प्रभारी शिवलाल गुर्जर ने आचार्य की अगवानी की। यहां से आचार्य पुठोली सेकेण्डरी स्कूल पहुंचे। उनका मंगलवार को यहीं प्रवास हुआ। बुधवार सुबह वे गंगरार के लिए विहार करेंगे।
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