जून 2013 में केदारनाथ क्षेत्र में पहाड़ टूटने व बाढ़ से देश के दस हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। बड़ी संया में कई लोग लापता हो गए थे। राजस्थान के कई जिलों के लोग अकाल मौत का शिकार हुए व सैकडों अभी भी लापता है। मृतक आश्रित व लापता लोगों के लिए सरकार ने राहत पैकेज भी घोषित किए थे। भीलवाड़ा व शाहपुरा जिले के चार परिवारों के कुल सात जने लापता हो गए थे। इनके बारे में आज तक कोई जानकारी नहीं है। इनमें भीलवाड़ा के पुर के गोपालकृष्ण व्यास व उनकी पत्नी गोरा देवी, शाहपुरा के जहाजपुर के जगदीश प्रसाद मालू व उनकी पत्नी कृष्णा तथा शाहपुरा के रामनारायण काबरा व उनकी पत्नी अरुणा देवी तथा रिश्तेदार सुधा देवी पत्नी तोषनीवाल शामिल है।
ना मुआवजा और ना नौकरी
हादसे के वक्त गोपालकृष्ण व्यास की उम्र 53 व गोरा देवी की उम्र 49 साल थी। रोडवेजकर्मी व्यास की सेवानिवृति में सात साल शेष थे। स्थायी रूप से लापता लोगों के परिजनों को राज्य सरकार ने पांच-पांच लाख और केन्द्र ने दस-दस लाख रुपए की घोषणा की थी। आश्रित परिजन बताते हैं कि घोषणा के अनुरूप कुछ नहीं मिला। राहत पैकेज के तहत घोषित सरकारी नौकरी नौकरी भी नहीं मिली। पंकज बताते है कि अभी दो भाई व एक बहन का परिवार है। त्रासदी के बाद बहन का विवाह करवाया। हालांकि अब कुछ जरूरत नहीं और नाही अब किसी की सहानुभूति चाहिए। लेकिन सरकारी की घोषणा के अनुरूप दो में से एक भी नौकरी नहीं मिली।