रीडिंग करने नहीं गए दो साल से
मेसर्स सूर्या ट्रेजर आईलैंड प्राइवेट लिमिटेड, जुनवानी का दिसंबर 2020 तक के पानी का शुल्क जमा है। इसके बाद दिसंबर 2022 तक 360481 रुपए बकाया है। इसके बाद निगम ने मीटर रीडिंग ही नहीं किया है। मीटर रीडिंग नहीं करने की वजह से इसके बाद की राशि के लिए नोटिस भी नहीं दिए हैं। यहां का मीटर चार माह तक खराब भी रहा है। सूर्या रेसिडेंसी, कोहका में भी सितंबर 2022 के बाद कोई मीटर रीडिंग कर बिल और नोटिस जारी नहीं किए हैं।
नियम दरकिनार, मीटर रीडिंग करना छोड़ा
निगम बल्क में जिन बिल्डरों को पानी आपूर्ति कर रहा है। उनके स्टोरेज में राइसिंग पाइप लगाकर पानी की आपूर्ति किया जाता है। इसके बाद वे हर घर में 24 घंटे पानी की आपूर्ति टंकियों में पानी भरकर करते हैं। नियम से निगम को राइजिंग पाइप से पानी देने के दौरान मीटर लगाकर राशि की वसूली करना है। इसके उलट अधिकारी नियम को दरकिनार कर बिल्डर को लाभ पहुंचाने, घरों की संख्या के आधार पर राशि वसूल रहे हैं।
निगम बरत रहा उपभोक्ताओं से भेदभाव
निगम के अधिकारी अलग-अलग निजी हॉस्पिटल में पानी की आपूर्ति कर रहे हैं। एक हॉस्पिटल से प्रतिमाह 800 तो दूसरे से प्रतिमाह 5,000 रुपए लिया जा रहा है। इसी तरह से रीडिंग में भी खेल चर रहा है, एक बिल्डर से 9 रुपए प्रति यूनिट, तो दूसरे से 22 रुपए प्रति यूनिट राशि वसूली जा रही है।
6 बिल्डर को घरों की संख्या के नाम पर पहुंचा रहे लाभ
निगम के अधिकारी 15 में से 6 बिल्डर से घरों की संख्या के मुताबिक शुल्क वसूल रहे हैं। इस तरह से निगम को इससे बड़ा नुकसान हो रहा है। इसके साथ-साथ निगम के अधिकारी दिसंबर 2023 तक मीटर रीडिंग ही नहीं किए हैं। यहां कई बिल्डर के बल्क कनेक्शन के साथ मीटर नहीं लगा है। जहां लगा है, वह खराब है। इस तरह से पानी आपूर्ति का आधार ही गड़बड़ है।
बकाया की नहीं है जानकारी
नगर निगम, भिलाई के अधिकारियों को बिल्डर से पानी का बकाया कितना लेना है। इसकी जानकारी नहीं है। यही वजह है कि किसी बिल्डर के 2020 की जानकारी दी जा रही है, तो कई बिल्डर के बकाया की जानकारी के स्थान को ऐसे ही छोड़ दिया गया है। निगम को जब तक बकाया वसूली कितना किया जाना है, इसकी जानकारी नहीं रहेगी, तब तक वे किस तरह से वसूली के लिए नोटिस देंगे।
जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ हो कार्रवाई
केशव चौबे, जलकार्य प्रभारी, एमआईसी सदस्य, भिलाई निगम ने बताया किबल्क में पानी देने के बाद मीटर के आधार पर हर माह बिल भेजा जाना है। इस कार्य में लापरवाही बरती गई है। इसकी आयुक्त जांच करे और जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करे। निगम को लापरवाही से बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है।