scriptभिलाई अभिषेक मिश्रा हत्याकांड में दो दोषियों को हाईकोर्ट ने किया दोषमुक्त, साल 2015 में हत्या के बाद लाश के ऊपर उगा दिया था गोभी… | Two accused acquitted in Bhilai Abhishek Mishra murder case | Patrika News
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भिलाई अभिषेक मिश्रा हत्याकांड में दो दोषियों को हाईकोर्ट ने किया दोषमुक्त, साल 2015 में हत्या के बाद लाश के ऊपर उगा दिया था गोभी…

Bhilai Abhishek Mishra Murder Case: भिलाई के बहुचर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड के दो अभियुक्तों को हाईकोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है। जिला न्यायालय ने 10 मई 2021 को आरोपियों विकास जैन और अजीत सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

भिलाईMar 12, 2024 / 09:35 am

Khyati Parihar

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Bhilai Abhishek Mishra Murder Case: भिलाई के बहुचर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड के दो अभियुक्तों को हाईकोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है। जिला न्यायालय ने 10 मई 2021 को आरोपियों विकास जैन और अजीत सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। वहीं एक अन्य आरोपी विकास जैन की पत्नी किम्सी जैन को दोषमुक्त कर दिया था। जिला न्यायालय दुर्ग के फैसले को दोनों आरोपियों ने हाईकोर्ट में चुनौती थी।
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविद्र कुमार अग्रवाल की डीबी में हुई। छत्तीसगढ़ के भिलाई में हुए इस हाईप्रोफाइल हत्याकांड पर हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ परिस्थिति जन्य साक्ष्य प्रमाणित नहीं हैं। आरोपियों की ओर से भी पैरवी करते हुए वकील अनिल तावड़कर और उमा भारती साहू ने कोर्ट में तर्क रखे कि यह पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर टिका हुआ था। दूसरी ओर अभियोजन पक्ष सुनवाई के दौरान घटना की कड़ियों को जोड़ नहीं पाया। इसके साथ ही अभिषेक मिश्रा के पिता आई.पी. मिश्रा ने किम्सी जैन की रिहाई को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। किम्सी के मामले में उच्च न्यायालय ने जिला न्यायालय के फैसले को उचित ठहराते हुए आई.पी. मिश्रा के आवेदन को खारिज कर दिया है।
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पुलिस विवेचना में लापरवाही

मामले में पुलिस विवेचना की लापरवाही सामने आई है। पुलिस और शासन हत्या का उद्देश्य ही साबित नहीं कर सके। इसका लाभ आरोपियों को मिल गया। आरोपियों की एडवोकेट अनिल तावड़कर ने कहा कि इस पूरे मामले में एक भी चश्मदीद गवाह नहीं है। साथ ही प्रार्थी की ओर से सिर्फ गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने जांच के दौरान हत्या का मामला दर्ज किया लेकिन ना तो गवाह हैं और ना ही साक्ष्य है। जिस दिन हत्या और लाश को दफनाने की बात कही जा रही है, उस दिन धनतेरस थी और बाजार के साथ पूरे क्षेत्र में भीड़ थी। पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए कोर्ट में कहा गया कि अभिषेक मिश्रा को किम्सी ने चौहान टाउन स्थित घर पर 9 नवंबर 2015 बुलाया। घर पहुंचने के बाद किम्सी और अभिषेक के बीच विवाद हुआ। पहले से मौजूद विकास और अजीत ने अभिषेक के सिर पर पीछे से रॉड से वार किया, जिससे वह वहीं कमरे में गिर गया। फिर अभिषेक को किम्सी के चाचा अजीत सिंह जो किराये पर स्मृति नगर भिलाई में रहता था। उसको वहां ले जाकर पहले से किए गए 6 फीट गहरे गड्ढे में ले जाकर दफना दिया था।
जांच में झोल, प्रत्यक्षदर्शी भी नहीं

कोर्ट में कहा गया कि चौहान टाउन स्थित घर और स्मृति नगर भिलाई की दूरी तीन किमी से अधिक है इसके बाद भी इस पूरे मामले में कोई प्रत्यक्षदर्शी पुलिस की विवेचना में नहीं है। साथ ही पुलिस के द्वारा कहा गया कि लाश के ऊपर फूल गोभी की सब्जियां उगा दी थीं। पुलिस ने लाश के पास हाथ का कड़ा, अंगूठी और लॉकेट देखकर अभिषेक की लाश होने की पुष्टि की थी और कहा गया कि 100 किलो से अधिक नमक डालकर ऐसा किया गया जिससे की बदबू नहीं आए। बचाव पक्ष ने कहा कि 45 दिनों तक लाश पड़ी रही ऐसे में नमक का उपयोग किया गया होता तो वह घुल जाता जबकि नमक सालिड मिला था। साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक के सिर या दूसरे किसी बॉडी पार्ट में रॉड से वार का उल्लेख नहीं है।
एक करोड़ मोबाइल फोन के डिटेल खंगाले

गौरतलब है कि 10 नवंबर 2015 की शाम शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज के चेयरमैन आई.पी. मिश्रा के इकलौते बेटे अभिषेक मिश्रा का अपहरण हुआ था और उसके बाद हत्या कर दी गई थी। हाईप्रोफाइल इस मामले में पूरे देश के करीब एक करोड़ मोबाइल फोन के डिटेल खंगालने के बाद पुलिस की निगाह भिलाई में रहने वाले सेक्टर-10 निवासी विकास जैन के ऊपर टिक गई थी। घटना के करीब 45 दिन बाद किम्सी के चाचा अजीत सिंह के स्मृति नगर निवास के बगीचे में अभिषेक की सड़ी-गली लाश बरामद हुई।
पिता फैसले को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती

वहीं अभिषेक के पिता आईपी मिश्रा ने कहा कि कोर्ट के फैसले से मैं बिलकुल संतुष्ट नहीं हूं। मैं बेटे को न्याय दिलवाने के लिए लड़ाई जारी रखूंगा। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करूंगा।

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