आप भी छूट का लाभ देंगे तो बताइए नहीं तो रहने दीजिए। (bhilai news) इस साल वैसे भी प्रवेश लेने का मूड नहीं है। हेमचंद यादव विवि के कॉलेजों में एडमिशन में इस तरह की बारगेनिंग बच्चे कर रहे हैं। (cg bhilai news) यही वजह है कि तीन मेरिट सूची जारी होने के बाद भी निजी कॉलेजों में एडमिशन का आंकड़ा महज 23 फीसदी पर आकर अटक गया है। (cg news in hindi) दरअसल, विवि के पोर्टल पर छात्र एक साथ पांच कॉलेजों का विकल्प भर रहे हैं, लेकिन एडमिशन एक में भी नहीं ले रहा। इससे निजी कॉलेजों की बेचैनी बढ़ गई है। कॉलेज खुद बच्चों को कॉल कर कन्वेंस कर रहे हैं। उन्हें कई तरह के ऑफर दे रहे हैं, बावजूद इसके एडमिशन का ग्राफ नहीं बढ़ रहा। निजी कॉलेज कुलपति से मिल चुके हैं।
एडमिशन की बेहद धीमी रफ्तार को देखते हुए निजी कॉलेजों के माथे पर पसीना दौड़ रहा है। यही वजह है कि हाल के कुछ दिनों में निजी कॉलेजों ने हेमचंद विवि प्रबंधन से मुलाकात कर नीति बनाने का आग्रह किया है। फिलहाल, विवि ने इसमें कोई निर्णय नहीं लिया है। (cg news today) दरअसल, निजी कॉलेज प्रवेश प्रक्रिया को पूरी तरह से निशुल्क नहीं रखकर इसे नॉमिनल शुल्क के साथ शुरू रखना चाह रहे हैं ताकि सही में एडमिशन लेने वाले बच्चे ही आवेदन करें। इसी तरह एक बार में एक कॉलेज का विकल्प मिले, जिससे प्रवेश प्रक्रिया के दौरान बच्चों में गंभीरता आए।
रविवि का हाल भी बेहाल ऐसा नहीं है कि सिर्फ हेमचंद विवि के कॉलेजों में ही प्रवेश कम है। पं. रविशंकर शुक्ल विवि का हाल भी कुछ ऐसा ही है। इसमें बीए की 15,274 सीटों के लिए 10,490 आवेदन ही आए। ऐसे ही बीएससी की 13,540 सीटों के विरुद्ध महज 10,152 आवेदन मिले। बीकॉम की 10,908 सीटों के लिए आधे 5,836 फार्म ही मिले हैं। प्रथम मेरिट सूची से रविवि के शासकीय कॉलेजों में 21 फीसदी एडमिशन हुए हैं, जबकि निजी कॉलेज में 8 प्रतिशत।