शासकीय मिडिल स्कूल शांति नगर में शिक्षकों ने कॉममॉस टेबलेट से कार्यक्रम को लाइव दिखाने का प्रयास किया पर नेटवर्क ने काम ही नहीं किया। यहां गिनती के करीब 20 छात्रों को यह कार्यक्रम मोबाइल के जरिए ही सुनाया गया।
भिलाई और दुर्ग के कुछ स्कूलों में काफी अच्छी व्यवस्था की गई थी, जिसमें दुर्ग के जेआरडी स्कूल में पांच जगह स्क्रिन लगाई गई थी हायर सेकंडरी और मिडिल स्कूल के बच्चों के लिए अलग-अलग व्यवस्था थी। ऐसा ही इंतजाम वैशालीनगर कन्या शाला मेंं था।
जिले में सरकारी स्कूल- 510
जिले के निजी स्कूल-386
कुल बच्चों ने देखा कार्यक्रम- 1 लाख 19 हजार 626
टीवी से माध्यम से कार्यक्रम- 852
रेडियो के माध्यम से कार्यक्रम- 44 (सिर्फ मिडिल स्कूल) टीवी तो था पर केबल ने दे दिया धोखा
शासकीय मिडिल स्कूल रामनगर में शिक्षकों ने टीवी का जुगाड़ तो कर लिया पर केबल ने धोखा दे दिया। यहां शिक्षक ने एक हाथ में मोबाइल और दूसरे हाथ में माइक रख बच्चों को यह कार्यक्रम सुनाया। सेक्टर-6 के शासकीय उमा शाला में कंप्यूटर स्क्रीन को सीधे डीटीएच से जोड़ा गया। आवाज कम थी इसलिए शिक्षकों ने साउंड सिस्टम को शुरू कर माइक को कंप्यूटर स्क्रीन के पास एक जग में रख दिया ताकि बरामदे में दोनों और बैठे बच्चों को आवाज सुनाई दे।
सुपेला के शास. कन्या उमा शाला में कार्यक्रम को सुनाने की व्यवस्था की थी। पहले कमरे में प्रोजक्टर के जरिए कार्यक्रम दिखाया जाना था, लेकिन कार्यक्रम शुरू होने के आधे घंटे बाद भी वह शुरू नहीं हो सका। वहीं दूसरे कमरे में प्राचार्य ने मोबाइल को साउंड बॉक्स से जोड़कर बच्चों को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को दिखाया। सेक्टर 4 स्थित मिडिल स्कूल बोरियागेट में रेडियो से ही बच्चों ने प्रधानमंत्री की बात सुनी। यहां गिनती के बच्चे थे और शिक्षकों ने भी खानापूर्ति की। बात सुनाने के लिए रेडियो का इंतजाम जरूर किया।
डीईओ के आदेश के बावजूद भी सुपेला स्थित कन्या पूर्व माध्यमिक शाला की बच्चियां यह कार्यक्रम को नहीं देख पाईं। प्रधानपाठक अर्जुन प्रसाद राय ने अपनी ओर से कार्यक्रम को दिखाने कोई प्रयास नहीं किया। जबकि उसी कैंपस में हाईस्कूल की छात्राएं कार्यक्रम देख रही थी। प्रधानपाठक ने कहा कि उनके पास न तो जगह है और न ही सुविधा। इसलिए उन्होंने यह कार्यक्रम नहीं दिखाया।