अब तक दी जाती रही है व्यवस्था
पिछले कार्यकाल के दौरान भाजपा से नेता प्रतिपक्ष रिकेश सेन को अलग से कक्ष दिए थे। इस बार भी वैसे ही व्यवस्था मिलने की उम्मीद भाजपा के पार्षद कर रहे थे। पार्टी ने भोजराज सिन्हा का नाम तय किया, इसके बाद वे आयुक्त को पत्र सौंपे। तब भी उन्हें कक्ष नहीं मिला, तब झाड़ के नीचे बैठने का फैसला किए।
गुटबाजी से उभर नहीं रही भाजपा
भारतीय जनता पार्टी के सारे पार्षद इस मौके पर निगम परिसर में नेता प्रतिपक्ष के साथ नजर नहीं आए। एक गुट के पार्षद साथ खड़े थे, दूसरे गुट के गायब थे। संगठन से भी नेता प्रतिपक्ष को मजबूत करने सभी पदाधिकारी पहुंचे नहीं थे। भाजपा में नेता प्रतिपक्ष का चयन होने के बाद से ही दो गुट नजर आने लगा। जिस तरह से बड़े नेताओं ने अलग-अलग गुट बना रखा है, यहां ऐसा प्रतीत होता है कि उस राह पर ही छोटे भी चल रहे हैं।