आइआइटी भिलाई अभी रायपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में संचालित है। तीन ब्रांच में १२० सीटें है। इस साल हम तीसरे बैच को प्रवेश देंगे। हमारे आइआइटी में पिछले साल से ही एमटेक और पीएचडी की शुरुआत भी हो चुकी है। यानि हम तरक्की की ओर दौड़ रहे हैं।
आइआइटी प्रशासन करीब ७ महीने पहले ही कुटेलाभांठा की १३०.२३० हेक्टेयर भूमि का टोफोग्राफिकल सर्वे करा चुका है। इसके अलावा सेटेलाइट मैपिंग भी पहले ही हो गई है। आइआईटी सितंबर से निर्माण कार्यों की शुरुआत करने का दावा कर रहा है, यही वजह है कि पूरे एरिया को नए सीरे से कवर किया गया है। हाल ही में ४०० से अधिक नए मैपिंग पिलर लगाए गए हैं। आने वाले महीने में सीपीडब्ल्यूडी की टीम जगह का मुआयना करने भिलाई आएगी। अभी इस मास्टर प्लान में कुछ बदलाव होने की भी
संभावनाएं हैं। दिल्ली की कंपनी ने तैयार किया है मास्टर प्लान, डिटेलिंग जारी है।
पहले चरण के निर्माण की क्षमता – पहले चरण में २५०० विद्यार्थी और १२०० फैकल्टी व स्टाफ के हिसाब से तैयारी जानी है।
बीएसपी ने दी कितनी जमीन – भिलाई इस्पात संयंत्र ने कुटेलाभाठा और खपरी की कुल १३०.२३० हेक्टेयर भूमि आइआइटी को हस्तनांतरित की है।
किसने बनाया मास्टर प्लान – आइआइटी के तीनों फेज का मास्टर प्लान दिल्ली की आर्किटेक्ट कनविंदे राय एंड चौधरी कंपनी बना रही है। प्रथम फेज पूरा हुआ।
कितने साल में होगा पूरा – सितंबर से निर्माण कार्य शुरू होगा, प्रथम फेज को पूरा होने में करीब २ साल का वक्त लगेगा। तीनों फेज के लिए करीब साढ़े चार साल।
आईआईटी भिलाई के डायरेक्टर प्रो. रजत मूना यह छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है। आइआइटी प्रदेश के लिए मील का पत्थर साबित होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों आइआइटी की नीवं रखी गई है। आने वाले कुछ वर्षों में यह संस्थान शिखर को छू लेगा। हम आज से ही बेहतर को और बेहतर बनाने की कोशिश में जुटेंगे।